सलाख़ों के पीछे आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा शख़्स कैसे बन गया एक स्टार बिजनेसमैन

वह वाशिंगटन डीसी के बाहरी इलाके की बस्ती में पला बढ़ा, जहाँ हत्याएं होनी एक आम बात थी। हर ओर बन्दूक की नोक पर हिंसा होती थी। नशाखोरी और गरीबी उसके आसपास के लोगों की जीवनचर्या का हिस्सा था। 16 वर्ष की उम्र में आते-आते तक उसे अपने पाँच मित्रों के दफन क्रिया में भाग लेना पड़ा था। और 17 साल में उसे सलाख़ों के पीछे भेज दिया गया था। मगर इसके बाद जो हुआ वह बेहद असाधारण और अभूतपूर्व है।

किशोरावस्था में किताबों में व्यस्त रहने वाले क्रिस विल्सन को अपराधी बनना पड़ा। मगर उन्होंने कभी भी अपने उद्यमी बनने के सपने को हार नहीं मानने दिया। आज वे एक सामाजिक उद्यमी हैं, साथ ही एक कहानीकार, कलाकार, समाजिक न्याय के वकील और एक लेखक भी।

क्रिस एक हिंसक और क्रूरता से भरे वातावरण में पले-बढ़े। अपने दादा जी से मिलने जाने के लिए उन्हें रास्ते में कई बार बिखरे लाशों से होकर गुजरना पड़ता था। उनकी माँ एक पुलिसवाले से मिलती-जुलती रहती थी जो उनका बलात्कार करता और पीटता था। इस कारण से उनकी माँ अवसाद में चली गई थी। वह पुलिसवाला इनके परिवार के पीछे पड़ा रहता और अक्सर धमकियां दिया करता था। उस डर से अपने किशोरावस्था में ही क्रिस अपने साथ एक पिस्तौल रखने लगे।

एक रात वह अपने घर वापस आ रहे थे। रास्ते में दो लोग उन्हें डराने-धमकाने लगे। अपने बचाव के लिए उन्होंने अपने साथ रखने वाला पिस्तौल निकाल लिया। बंदूक की गोली से एक व्यक्ति की वहीं मृत्यु हो गई। इस पल ने उनके जीवन के ढर्रे को बदल कर रख दिया। उसी रात उनके भाई के सामने ही उनके पिता की भी नृशंस हत्या कर दी गई थी।

17 की उम्र में क्रिस पर आरोप साबित हुआ और उन्हें अपराधी घोषित कर आजीवन कारावास की सजा दी गई। घर-परिवार वाले और दोस्तों ने इनसे मुँह मोड़ लिया। मगर इस युवक के अन्दर कुछ ऐसा था जो अविश्वसनीय था।

“मुझे पता था कि मैं दिल से एक अच्छा व्यक्ति हूँ। मैंने निर्णय कर लिया और मैं सभी को गलत सिद्ध करूँगा। मैं अपनी कोठरी में चला गया और तीन दिनों तक वहाँ रहा और फिर मैंने अपना मास्टर प्लान बनाया”

क्रिस हमेशा उस बातों को याद करते हैं जो उनके दादा ने उनसे एक बार कहा था, “मुझसे वादा करो तुम अपने जीवन का कायापलट करोगे। तुम यह कर सकते हो। वादा करो मुझसे, तुम कोशिश करोगे।” क्रिस ने एक श्रेष्ठतर व्यक्ति बनने का फैसला किया।

अपने उस एकाकीपन के दौरान ही उन्होंने न सिर्फ अपनी जिन्दगीं में एक नया मोड़ लाने का निश्चय किया बल्कि उन लोगों के जीवन में फर्क लाने का तय किया जिन्होंने उन्हीं की तरह जीवन में बाधाओं का सामना किया हो। वे अपनी कोठरी के मद्धिम रोशनी में बैठकर उन सवालों को लिखते जिसे अब वे मास्टर प्लान कहते हैं। मैं किसके जैसा बनना चाहता हूँ? यह व्यक्ति किसके जैसा दिखेगा? यह व्यक्ति कौन सा कार्य सम्पूर्ण करेगा? उसके बारे में लोग क्या कहेंगे? ये वह प्रश्न थे जिसे वे अक्सर खुद से पूछा करते थे।

“हरेक कोई यह सोचता था कि मैं बावला हो गया हूँ। मगर मैंने यह विश्वास किया कि ये मास्टर प्लान ही था जो मुझे आजाद करा सकता था।”

जब क्रिस कैद में थे तब ही उन्होंने हाई स्कूल डिप्लोमा और अन्य सहायक डिग्रीयाँ अर्जित की। उन्होंने एक पुस्तक क्लब और एक नया व्यवसाय शुरू किया, चार भाषाओं को पढ़ना और लिखना सीख लिया।

उनका संगी कैदी स्टीफन एडवर्ड्स, जो एक साॅफ्टवेयर कंपनी बनाने के सपने देखता था, उनका जिगरी दोस्त बन गया। हालांकि दोनों को ही आजीवन कारावास की सजा थी परंतु उन्होंने अपने सपनों का त्याग नहीं किया और उसे वास्तविक बनाने के लिए सब कुछ किया।

इन दोनों की जोड़ी अपना वक्त कुछ सिखने में गुजारते। उन्होंने वाल स्ट्रीट जनरल और लोकप्रिय विज्ञान पत्रिकाओं और व्यवसायिक समाचारों को मँगवाने के लिए अपने संसाधनों को इकट्ठा किया। स्टीफन ने जेल के कम्प्यूटर लैब में अपना बेसिक रिज्यूमें तैयार किया और काम के अवसरों की तलाश करनी शुरु कर दी। दोनों ने मिलकर फोटोग्राफी का बिज़नेस प्रारंभ किया। वे जेल के कैदियों की तस्वीरें उनके चाहने वालों को बेचनी शुरू कर दी। तीसरे वर्ष तक उनलोगों ने $40,000 तक बना लिए जो आगे बढ़ता ही गया।

जब क्रिस के न्यायाधीश कैथी सर्टेट को उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी गई तो उसने उनके आजीवन कारावास के फैसले पर पुर्नविचार करने और उन्हें एक दूसरा मौका देने का निर्णय किया। कैथी ने कहा, “तुम्हारी उपलब्धियाँ कोई बहुत विस्मयकारी नहीं है। तुमने इस योजना में कुछ बढ़िया महत्वकांक्षी चीज़े डाली हैं। मैं तुम पर निगरानी करुँगा।”

16 सालों के बाद क्रिस की सज़ा को कम कर दिया गया और वे कैद से आज़ाद होने योग्य बन गये। और अंततः जिन्दगीं का आधा हिस्सा जेल में बिताने के बाद उन्हें जेलखाने से आजाद कर दिया गया। बाहर आने के बाद क्रिस के पास कुछ भी नहीं था। वे बेघर थे। वह अपने मित्र के सोफे पर सोते थे। इन सब के बावजूद उन्होंने मास्टर प्लान को पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी आॅफ बाल्टीमोर गये और उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उन्होंने वहाँ से ग्रेजुएट होने की प्रवेश परिक्षा पास कर ली।

ग्रेजुएशन पास करने के बाद क्रिस को $42,000 की नौकरी का पेशकश मिला और 30 दिनों के बाद ही उसमें बढ़ोत्तरी मिली। और सात महीने बाद उन्हें निर्देशक बना दिया गया।

क्रिस के उद्यमी बनने का सपना कमजोर नहीं पड़ा था। अपनी नौकरी से पैसों की बचत करके उन्होंने हाउस आॅफ द विन्ची की नींव रखी। यह एक फर्नीचर नवीनीकरण और गृह सज्जा के सामग्री का व्यवसाय था। कुछ महीनों बाद उन्होंने एक और व्यवसाय बार्कलेज इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जो एक ठेकेदारी कंपनी है।

उनका अधिकतर समय दण्ड-न्याय में सुधार की वकालत करने और सुविधाहीन जनों के लिए अपनी कंपनी द्वारा आर्थिक अवसरों को बनाने में व्यतीत होता है। “बार्कलेज इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन कोई गैर-लाभकारी कंपनी नहीं है, हमारा प्रयोजन पैसे कमाना है, परंतु हमारा अति महत्वपूर्ण उद्देश्य यहाँ बाल्टीमोर के लोगों को काम के लिए रखना है जो वैसी परिस्थितियों से गुजरे हो जिससे उन्हें नौकरी मिलना मुश्किल है, जैसे की कैद की सजा वाले, अल्पशिक्षित और नौसिखिए।”

क्रिस को उनके द्वारा समाज पर किए गए प्रभावों के कारण दो बार व्हाइट हाउस से निमंत्रण प्राप्त हुआ। उनकी कंपनी और स्ट्राँग सिटी बाल्टीमोर में उनके योगदान से उन्होंने 230 लोगों को रोजगार मुहैया कराने में मदद की है। वह मानते हैं कि 60 प्रतिशत लोग उनके समान ही जेल से छूटे हुए हैं। वह एक किताब पर काम कर रहे हैं और लगातार अपने व्यवसाय को बढ़ा रहे हैं।

क्रिस के मित्र स्टीफन को भी 2014 में जेल से मुक्त कर दिया गया। उसने साॅफ्टवेयर कंपनी की स्थापना की। वे दोनों अब भी प्रतिदिन बातें करते हैं।

क्रिस की कहानी चरित्र बल और दृढ़ता का बेजोड़ उदाहरण है। यह दर्शाता है कि कोई अपने सपनों को पूरा करने के लिए किस हद तक जा सकता है। उनकी कहानी एक काल्पनिक कथा की तरह प्रतीत होती है मगर नेतृत्व गुण, मानव संबंध और उद्यमिता को प्रदर्शित करती है। सभी के लिए उनका संदेश है, “मदद पाने में अपने अभिमान को रुकावट मत बनने दो। आपके पास सभी चीजों का समाधान नहीं है। आप सब कुछ स्वयं नहीं कर सकते हो। इसलिए सहायता माँगने में संकोच नहीं करो।”

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