सड़क दुर्घटना का शिकार हुए 5,000 से ज्यादा लोगों को जीवनदान देने वाले पद्मश्री सुब्रतो दास

“सड़क हादसे का शिकार एक आदमी जिसके चेहरे पर 33 जख्म हों खून से लथपथ वह सड़क पर आने जाने वालों से मदद की गुहार कर रहा है पर कोई मदद के लिए नहीं रुकता बरसात की उस भयावह गहरी रात में बारिश के पानी और बहते खून में अंतर कर पाना मुश्किल हो रहा था। वह घायल अकेला सड़क पर हर आने जाने वाले से मदद की उम्मीद कर रहा था। 1999 में ऐसी ही रुह कँपा देनेवाली परिस्थिति के शिकार हुए सुब्रतो दास के साथ घटी यह एक सच्ची घटना है। तब उन्होंने ठाना की ऐसी असहाय स्थिति से निपटने के लिए वह कुछ करेंगें ताकि आगे किसी को ऐसी परिस्थिति में तुरंत राहत पहुँच सके और दुर्घटना से पीड़ितों को बचाया जा सके।

इस घटना ने उनके जीवन को परिवर्तित करके रख दिया और वे सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए एक देवदूत के रुप में उभरे। 2002 में उन्होंने देश की पहली आपातकालीन मेडिकल सुविधा की शुरुआत की।

इससे पहले पुणे में सिर्फ कार्डिक (हृदय संबंधी) आपातकाल के लिए ही एंबुलेंस की सुविधा थी। श्री सुब्रतो दास ने एक गैर सरकारी संगठन (NGO) ‘लाईफलाइन फाउंडेशन’ गठित किया और इसकी शुरुआत अहमदाबाद-सूरत राष्ट्रीय राजमार्ग से की। समय के साथ साथ अपने सेवा क्षेत्र का विस्तार करते हुए पूरे गुजरात में विस्तृत करते हुए महाराष्ट्र, राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल में कुल 5000 किलोमीटर तक विस्‍तार कर रहे हैं।

2002 में एक सम्पर्क संख्या 9825026000 से शुरुआत की गई। राजमार्गों पर किसी भी प्रकार की मदद के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क किया जा सकता है।

“हमलोंगो ने अपनी शुरुआत से अब तक 3500 से अधिक गंभीर दुर्धटनाओ में बचाव कार्य किया है और 5000 से अधिक गंभीर रुप से घायल जिन्दगीयों को निकाल कर लाए है।” श्री सुब्रतो ने ‘जिन्दगी बचाने’ के स्थान पर ‘निकाल लाने’ के प्रयोग पर ज्यादा जोर दिया है क्योंकि वह मानते हैं कि यदि दुर्घटना के बाद पीडि़त 7 दिनों से अधिक बच जाता है तभी जिन्दगी बचाना कहा जा सकता है।

अगस्त 1999 की वह रात जिसने सुब्रतो की जिन्दगी बदल दी। अपने एक डॉक्टर मित्र और सहकर्मी के साथ श्री सुब्रतो और उनकी पत्नी एक कार में खंभात से अपने घर वापस लौट रहे थे। “रात के 1:30 बज रहे थे और इतनी रात में कार चलाते हुए मेरे दोस्त को एक झपकी आ गई। कार एक गड्ढें में जा गिरी और एक पेड़ से टकरा गई। यह वैसा था जैसा कि आप किसी डरावनी फिल्म में देखते हो मानो पेड़ आपकी तरफ दौड़ कर आ रहा हो” श्री सुब्रतो दास ने बताया।

यह एक बड़ी दुर्घटना थी। गाड़ी के शीशे ने टूट कर सुब्रतो दास के चेहरे को लहूलुहान कर दिया। गाड़ी में सवार कोई भी अन्य चल पाने की स्थिति में नहीं था। अगले 4 घण्टे तक वे गाड़ियो को रोकने और मदद के लिए प्रयास करते रहे पर कोई भी उनकी मदद को आगे नहीं आया। चार घण्टे बाद साइकिल से जा रहा एक दूधवाला रुका और उसने एक बस रुकवा कर उनकी मदद की। श्री सुब्रतो दास और उनकी पत्नी कहते हैं कि कोई भी उस परिस्थिति से न गुजरे जिसको उन्होंने झेला है।

उन्होंने बिना किसी बड़े पूंजी निवेश के उन अस्पतालों के साथ साझेदारी की जो घटना स्थलों के लिए आपातकालीन वाहन उपलब्ध कराते हैं। “हमलोंगो ने अस्पतालों के साथ नेटवर्क स्थापित किया जो दुर्घटना स्थलों पर एंबुलेंस भेजते हैं। इससे अस्पतालों में दुर्घटना पीड़ित पहुँच जाते हैं और उन्हें भी एंबुलेंस खरीदने के लिए कोई पूंजी निवेश नहीं करना पड़ा।” श्री सुब्रतो दास कहते हैं, “मेरा सपना एक राष्ट्रीय आपातकाल सेवा का है जिसका एक ऐसा सार्वभौमिक नम्बर हो चाहे इसे कोई भी संचालित करे धर्मार्थ संस्था, कार्पोरेट या अग्निशमन दल। यह सभी की पहुंच में हो और स्टैन्डर्ड सेवाएँ दे। और मैं तब तक चैन से नहीं बैठूँगा जब तक की मैं यह हासिल न कर लूँ।”

p>वह चाहते थे कि आपातकालीन सेवाओं के लिए एक एकीकृत नम्बर हो। इसी विचार से गुजरात मेडिकल सेवा अधिनियम 2007 बनाया गया। इसी के तहत 108 नम्बर की शुरुआत की गई जो दुर्घटना पीड़ितो के लिए एकीकृत आपातकालीन नम्बर है। NGO सरकार को तकनीकि विशेषज्ञता प्रदान करता है। “इसके बाद हमने देश के दूसरे राज्यों में भी ऐसी सेवा शुरु करने के लिए बात की और आज भारत के 26 राज्यों में हेल्पलाईन नम्बर 108 काम कर रही है।” उन्होंने बताया।

स्मार्ट सिटी के प्रयास में, श्री सुब्रतो दास 40% बरौड़ावासियो को CPR (हृत्फुफ्फुसीय पुनर्जीवन) तकनीक के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं ताकि हृदयाघात वाले मरीजों को अस्पताल पहुंचने से पहले राहत के लिए दिया जा सके।

इस वर्ष उनके इस प्रयास के लिए देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्मश्री दिया गया। अब तक उनके इस प्रयास से 1200 सड़क दुर्घटना के शिकार की जान बचाई जा सकी है।

हम में हर किसी ने कभी न कभी जिन्दगी के किसी न किसी मोड़ पर किसी विकट परिस्थिति का सामना किया हैं। मगर मानवता की यही पुकार है कि हम उस विकट परिस्थिति को दूसरों को बचाने के लिए प्रयास जरूर करें। सुब्रतो के द्वारा किया जा रहा यह प्रयास हमारे संवेदना विहीन होते समाज के लिए एक अत्यंत ही प्रशंसनीय और अनुकरणीय है।


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