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10 मुर्राह भैसों के साथ हुई एक छोटी शुरुआत, इंजीनियरिंग छोड़ दूध बेचकर बनाया 150 करोड़ का साम्राज्य

हमारा देश भारत असल मायने में गावों की मिट्टी में बसता है, अगर हम अपने देश का विकास चाहते हैं तो सर्वप्रथम हमें गावों के विकास व आधुनिकीकरण पर गौर करना होगा। आज तक हमने यह बातें लेखो में पढ़ी या सुनी होगी किन्तु जींद के एक सिविल इंजीनियर बलजीत सिंह रेढु ने इसे सत्यार्थ कर दिखाया है। बलजीत ने पशुधन के महत्व का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मात्र सात सालों में दूध के व्यापार से करोड़पति बनने का सफर तय किया है। दस मुर्राह भैसों के दूध से अपना कारोबार शुरू करने वाले बलजीत आज 150 करोड़ वैल्यूएशन की कंपनी के मालिक हैं।

हरियाणा के जींद जिले में जन्मे 51 वर्षीय बलजीत बताते हैं कि उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो की किन्तु लक्ष्य एक सफल कारोबारी के रूप में पहचान बनाना था। इसी विचार के साथ उन्होंने मुर्गी पालन के लिए हैचरी बिज़नेस शुरू किया, फिर 2006 मे ब्लैक गोल्ड के नाम से पंजाब और हरियाणा में मशहूर 10 मुर्राह भैसों के साथ डेरी कारोबार की शुरुआत की। बलजीत अपनी सफलता का सारा श्रेय इन मुर्राह भैसों को देते हैं, उनका मानना है कि लोग विदेशी नस्लों को महत्व देकर अपने ही देश की नस्लों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। आज मुर्राह भैंस की कीमत लाखों में है, स्वयं बलजीत ने दो महीने पहले मुर्राह भैंस की कटड़ी 11 लाख रुपए में बेचा। बलजीत इनके संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत है और इसमें सफल भी हुए है।

जमीन से जुड़े बलजीत का उद्देश्य अपने कारोबार में मुनाफा कमाने के साथ-साथ हरियाणा के अधिक से अधिक युवकों को रोज़गार मुहैया कराना है। इसी सोच के साथ उन्होंने जींद में ही एक मिल्क प्लांट लगाया है जिससे 14 हज़ार दूध उत्पादक उनसे जुड़े हैं। किसानों को आधुनिक टेस्टिंग उपकरण के साथ उत्तम किस्म का चारा भी उपलब्ध कराया जाता है तथा 40-50 लोगों की टीम हर समय उपलब्ध रहती है जो कि हर तरह की जानकारी व सुविधा दूध उत्पादकों तक पहुँचाते हैं। पूरे हरियाणा मे उनके 120 मिल्क बूथ हैं और 300 से ज्यादा मिल्क कलेक्शन सेंटर। इनके उत्पाद दूध, दही,पनीर,आइसक्रीम, घी, बटर और स्वीट्स बाजार में लक्ष्य फूड ब्रांड के नाम से जाने जाते हैं। वर्तमान में कंपनी की उत्पादन क्षमता 1.5 लाख लीटर दूध प्रतिदिन की है। अपनी गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए कंपनी ने टेट्रापैक टेक्नोलॉजी से अपने उत्पादों को लैस किया है।

अपने कठिन परिश्रम के बल पर आज बलजीत के पास उनकी क्लाइंट लिस्ट मे बड़े-बड़े नाम शामिल हैं उनमे प्रमुख़ है मदर डेरी, गार्डन डेयरीज, ताज ग्रुप, द एरोमा, गोपाल स्वीट्स, सिंधी स्वीट्स और चण्डीगढ़ ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस। रेढू ग्रुप के अंतर्गत रेढू हैचरीज प्राइवेट लिमिटेड,रेढू फार्म प्राइवेट लिमिटेड और जे एम मिल्स प्राइवेट लिमिटेड भी आते हैं। अपने दूध उत्पादों के अलावा बलजीत ने मुर्राह भैसों एवं होल्सटीन गायों का ब्रीडिंग केंद्र भी खोला है, जहां पर पैदा हुए उन्नत किस्म के कटड़ों एवं बछड़ो को देश भर में बेचा जाता है।

बलजीत का सपना है जिसमे वह काफी हद तक कामयाब भी हुए है, कि वह मुर्राह भैंसो, डेरी फार्मिंग और हरियाणा को विश्व के मानचित्र पर इस प्रकार अंकित करे कि सम्पूर्ण विश्व में हरियाणा की संस्कृति दूध व दही के नाम से पहचानी जाए। कहते है न जब हौसले बुलंद हो तो सफलता को पंख लगते देर नहीं लगती। इसी कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है बलजीत सिंह रेढू ने।

नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020 तक दूध की मांग 20 करोड़ टन पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में नए उद्यमियों के लिए इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। आशा करते हैं कि बलजीत सिंह जैसे लोगों से सीख लेकर नई पीढ़ी के युवा इस क्षेत्र में सफलता का परचम लहरायेंगे।

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