13,000 रुपये से 8000 करोड़ तक का सफ़र, मवेशी पालन से वैश्विक ब्रांड बनने की अद्भुत कहानी

जैसा की हम सबको पता है कि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है और हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से का मुख्य पेशा कृषि आधारित ही है। लेकिन इस सच्चाई के बावजूद हमारी नई पीढ़ी का रुझान कृषि के प्रति दिनों-दिन कम होता जा रहा है। हर साल भारी तादात में युवाओं का पलायन रोजगार की तलाश में गांव से शहर की ओर होता है। खेती और मवेशीपालन जैसे सफल अवसरों को छोड़ शहर की उबाऊ जिंदगी को गले लगाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। शहर में जहाँ एक ओर इन युवा शक्ति का शोषण किया जाता है तो वहीं कई लोगों को तो महीनों नौकरी की तलाश में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है।

आज हम एक ऐसे इंसान की कहानी लेकर आए हैं जिनकी सफलता जानकर आप दांतों तले अंगुली दबा लेंगें। इतना ही नहीं यह कहानी खासकर उन लोगों के लिए भी है जो समझते हैं कि कृषि क्षेत्र में संभावनाओं की कमी है। करोड़ों का टर्नओवर करने वाली देश की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की डेयरी कंपनी बनाने वाले इस व्यक्ति की कहानी बेहद प्रेरणादायक है।

हटसन एग्रो की आधारशिला रखने वाले आरजी चन्द्रमोगन आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। तमिलनाडु के थिरुथंगल में एक बेहद ही गरीब नादर परिवार में जन्में चन्द्रमोगन ने काफी कम समय में ही पढ़ाई से नाता तोड़ लिया। घर की दयनीय आर्थिक हालातों को देखते हुए उन्होंने कामकाज ढूंढने शुरू कर दिए। कई सालों तक यह सिलसिला यूँ ही चलता रहा। समय के साथ आर्थिक स्थिति सही होने की बजाय गिरती ही चली गई। अंत में इनका परिवार 13,000 रुपए में अपनी सारी संपत्ति बेच साल 1970 में आरजी चंद्रमोगन एंड कंपनी शुरू की।

कंपनी की शुरुआत एक कृषि फर्म के रूप में हुई थी। शुरुआत में उन्होंने मवेशी पालन का धंधा शुरू किया था। महज चंद गाय से शुरू हुई यह फर्म साल दर साल बड़ी होती चली गई। चन्द्रमोगन इन गायों से दूध निकाल उसे डेयरी तक पहुँचाया करते थे। यह सिलसिला 16 वर्षों तक चला। धीरे-धीरे इनके पास मवेशियों की संख्या बढ़ गई और ज्यादा मात्रा में दुग्ध उत्पादन होने लगे। फिर इन्होंने खुद की एक डेयरी फर्म खोलने का फैसला लेते हुए साल 1986 में, आरजी चंद्रमोगन एंड कंपनी को ‘हटसन एग्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड’ के रूप में स्थापित किया।

उन्होंने सबसे पहले अपने राज्य में ताज़ी और स्वच्छ दूध की सप्लाई शुरू की। अरोक्या और गोमाथा नाम से दूध के दो ब्रांडों को बाजार में पेश करते हुए उन्होंने कुछ ही वर्षों में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गोवा में अपनी पैठ जमा ली। 2003 तक 6.25 लाख लीटर दूध की बिक्री रोजाना होनी शुरू हो गई और जिसमें चेन्नई में सिर्फ 1.55 लाख लीटर की बिक्री रिकॉर्ड की गई। ग्राहकों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कंपनी कर्नाईपुरम, सलेम और मदुरै में कारोबार का विस्तार करते हुए अपनी डेयरी यूनिट बनाई।

हटसन एग्रो ने कुछ महीने पहले चेन्नई में अपना एक हजारवाँ रिटेल आउटलेट शुरू किया है। हटसन एग्रो द्वारा जारी अधिकारिक बयान में कहा गया है कि कंपनी की योजना अगले एक साल में रिटेल आउटलेटस की संख्या तीन गुना करने की है।

कंपनी ने पिछले तीन सालों में अपना कुल कारोबार तीन गुना बढ़ा दिया है और यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती डेयरी कंपनी बन गई है। पिछले 3 लगातार तिमाहियों में 116 फीसदी की रिकार्ड वृद्धि दर्ज करते हुए आज यह देश की अग्रणी कृषि फर्म में से एक है। प्रतिदिन 1 मिलियन लीटर दूध बेचते हुए चंद्रमोगन ने आइसक्रीम सेक्टर में भी कदम रखा।

आज अरुण आइसक्रीम दक्षिण भारत में एक लोकप्रिय आइसक्रीम ब्रांड है। आज इनके 1000 से अधिक एक्सक्लूसिव आइस क्रीम पार्लर भी हैं। मई 2008 में उन्होंने सेशेल्स में प्रति दिन 3000 लीटर की क्षमता वाला आइसक्रीम संयंत्र स्थापित किया और फिर फिजी में एक और संयंत्र। इतना ही नहीं यह कंपनी शेयर बाज़ार में भी सूचीबद्ध है तथा इसका मौजूदा मार्केट केप 7950 करोड़ (आर्टिकल लिखने तक) है।

आज आरजी चन्द्रमोगन को देश की पहली पीढ़ी के सबसे सफल उद्यमी के रूप में देखा जाता है। 13,000 रुपये से शुरुआत कर देश की एक विशाल उद्यम की स्थापना करने वाले इस व्यक्ति से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है।

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