जैसा देश वैसा भेष’ की कहावत हम काफी पहले समय से सुनते आ रहे हैं और बात यदि वर्तमान परिपेक्ष्य की हो तो ये कहावत बहुत ही प्रासंगिक होती जा रही है। हम यह भी जानते हैं कि प्रकृति की सबसे खूबसूरत कृति है इंसान। और अपनी इस कृति की सुंदरता को प्रकृति ने दो भागों में विभक्त किया है, अंदरुनी सुंदरता जो चिर स्थाई होती है जो कि उसके सकारात्मक व्यवहार के रूप में प्रदर्शित होती है। और दूसरी बाह्य सुंदरता जो समय के साथ बदलती रहती है।
आजकल की दुनिया में बाहरी सुंदरता की मांग बढ़ रही है और इसमें कोई संदेह नहीं है और हर व्यक्ति अपने शरीर की सुंदरता को निखारने के लिए सजग है। वहीं दूसरी ओर बाहरी सुंदरता में परिवर्तन की प्रक्रिया को सौन्दर्य प्रसाधनों के इस्तेमाल से सम्भव बनाया जा सकता है क्योंकि हर व्यक्ति चाहता है कि वह आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी हो। वर्तमान मान्यता के अनुसार शारीरक सुंदरता व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के साथ ही आत्मविश्वास में वृद्धि भी करती है। लेकिन इसी सुंदरता को बढ़ाने के लिए रासायनिक तत्वों का प्रयोग बहुत ही घातक सिद्ध होता है। परन्तु आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का प्रयोग स्वास्थ्यकर माना जाता है | उन्ही आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का प्रयोग कर प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक सौंदर्य को निखारने की जिम्मेदारी ली है मशहूर ब्यूटी एक्सपर्ट शहनाज हुसैन ने।

भारत के सौन्दर्य विशेषज्ञों में शाहनाज़ के नाम से शायद ही कोई अपरिचित होगा। अपने स्पष्ट विचारों और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए जानी जाने वाली शहनाज हुसैन भारत की नामचीन महिला उद्यमियों में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। अपनी मेहनत लगन और सृजनात्मकता के दम पर ही आज उनके हर्बल उत्पाद तेजी से बढ़ती फैशन की दुनिया में अपना प्रतिष्टित स्थान बना चुके हैं। आज उनकी कम्पनी शहनाज हुसैन हर्बल्स दुनिया भर में हर्बल प्रोडक्ट्स बनाने वाली सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक है। लेकिन शहनाज़ की सफलता की यह इमारत रातों रात खड़ी नहीं हुई है।
साल 1940 में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एन. यू. बेग के घर एक बेटी का जन्म हुआ जिसका नाम शहनाज रखा गया। बचपन से ही शहनाज की रूचि ऐसे कार्यो में थी जिसमे सृजनात्मकता हो। धीरे-धीरे समय अपनी गति से बीतने लगा और शहनाज़ के सपनों का आसमान भी बढ़ने लगा। लेकिन तभी तत्कालीन समाज की रस्मों रिवाजों को तरज़ीह देते हुए 14 साल की उम्र में ही उनकी सगाई कर दी गयी। और सगाई के कुछ ही समय बाद 16 साल की छोटी सी उम्र में उनकी शादी भी हो गयी। अभी तो शहनाज उस नए परिवेश में खुद को ढाल ही रही थी की उसी साल उस पर मां बनने की जिम्मेदारी भी आ गयी। अब शहनाज पर इतनी कम उम्र में परिवार की जिम्मेदारी थी, उसे एक बहु,पत्नी और माँ की भूमिका का निर्वहन करना था।
तमाम जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए समय निकाल पाना बहुत ही कठिन था। पर कहते हैं ना अगर सपने साकार करने का जज़्बा हो तो रास्ते अपने आप बनने लगते है। शहनाज ने अपने ब्यूटीशियन बनकर लोगों को सुंदर बनाने के सपने को खोने नहीं दिया। उस समय कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता था कि इतनी कम उम्र में माँ बनने वाली शहनाज अपने जीवन में सफलता की बुलंदियों को छु पाएगी, खुद उन्हें भी अपनी सफलता का इल्म नहीं था। शहनाज ने अपने शौहर से अपने सपने को साकार करने के बारे में बात की, उनके ब्यूटीशियन बनने के निश्चय की शिद्दत को देखकर पति और पिता ने उनका पूरा साथ दिया। कुछ समय के लिए जब उनके पति इराक में नौकरी करने गये, इसी बीच शहनाज ने भी अपने सौन्दर्य विशेषज्ञ बनने के सपने को पूरा करने की दिशा में पहला कदम बढ़ाते हुए लन्दन जाकर सौंदर्य प्रसाधनों के उपयोग का प्रशिक्षण लेना प्रारंभ कर दिया। शहनाज जानती थी कि रासायनिक सौंदर्य प्रसाधनों का शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है इसलिए उन्होंने आयुर्वेदिक और शुद्धता से बने उत्पादों की जानकारी के लिए लगभग दस वर्षों तक लंदन, पेरिस, न्यूयॉर्क और कॉपनहेगन के प्रतिष्ठित पॉर्लरों में प्राकृतिक सौंदर्य प्रणाली का प्रशिक्षण लिया।
वर्ष 1977 में भारत लौटकर अपने पिता से 36,000 रूपये उधार लेकर दिल्ली में ही अपने घर से शहनाज हुसैन हर्बल्स की पहली शुरुआत की। शुरू होते ही शहनाज के हर्बल सौंदर्य प्रसाधनों को जबर्दस्त समर्थन मिलने लगा। पहले शहनाज त्वचा सम्बंधित रोग विशेष के लिये उपचार तैयार करती थी लेकिन उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को देखते हुए उन्होंने जल्दी ही मुहांसे, झाई, त्वचा में नमी की कमी और एलोपेसिया यानि बालों को गिरने से रोकने के लिये विभिन्न उत्पाद बाजार में पेश किये।
समय अपनी गति से बीतने लगा और शहनाज अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ अपने कार्यक्षेत्र में सफलता की सीढ़ी दर सीढ़ी पर चढ़ती गयी। और सत्तर के दशक में उनकी काबिलियत को देखते हुए सौन्दर्य विशेषज्ञों के वैश्विक सम्मेलन सिडेस्को में शाहनाज़ को भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला और इसी अवसर का लाभ उठाते हुए उन्होंने अपने विचारो से वहाँ उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित कर दिया और उनकी वाक् पटुता से प्रभावित उपस्थित सभा सदस्यों ने एक दिन के लिये उन्हें इस सम्मेलन की अध्यक्षता करने का अवसर दिया। इस अवसर का पूरा लाभ उठाते हुए शहनाज ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत के आयुर्वेद की ओर खींचने का प्रयास किया। अपनी निरंतर सौन्दर्य क्षेत्र में प्राप्त सफलता के फलस्वरूप उन्हें राजीव गांधी सद्धभावना पुरस्कार और वीमेन ऑफ़ द डिकेड अवार्ड 1983 से सम्मानित किया गया। और साथ ही उन्हें इमेज इंडिया अवार्ड 1985 तथा फिक्की आउटस्टैंडिंग वीमेन ऑफ़ द ईयर अवार्ड 1986 आदि प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाज़ा गया।
नब्बे का दशक आते–आते शहनाज के उत्पादों की मांग बढ़ने लगी और उनके सौंदर्य प्रसाधनों और उनके द्वारा किये गए सौंदर्य समस्याओं के समाधान को इतना अधिक पसंद किया जाने लगा कि उनके उत्पादों की मांग देश–दुनिया के सभी बड़े स्टोर्स पर होने लगी। धीरे-धीरे दुनिया भर में शहनाज के आयुर्वेदिक सौंदर्य उत्पादों की मांग बढ़ने लगी और लंदन के प्रख्यात हैरोड्स से लेकर दुबई की शान सुल्तान स्टोर्स तक इनके सौंदर्य प्रसाधन अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाने लगे। दुनिया में अपने प्रसाधनों की मांग को देखते हुए शहनाज ने एक सफल व्यावसायिक प्रणाली को अपनाते हुए फ्रेंचाइजी के तहत भारत और विदेशों में अपने एक्सक्लूसिव स्टोर्स खोले लेकिन उत्तम गुणवत्ता में कमी नहीं आए इसलिए वे आज भी अपने सभी फ्रेंचाइजी मालिकों को पहले स्वयं प्रशिक्षण देती हैं।
उनकी कंपनी शहनाज हर्बल्स समूह के 350 उत्पाद से भी अधिक उत्पाद 30,000 आउटलेट्स पर उपलब्ध हैं और कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 650 करोड़ के पार है।
मेरे और मेरी कम्पनी के लिए ग्राहक का संतोष ही सबसे बड़ा विज्ञापन है जो वो हमारे उत्पादों के उपयोग के फलस्वरूप अपने अनुभव से प्राप्त करता है। मौखिक प्रचार ग्राहक के मन में विज्ञापन से भी अधिक भरोसा जगाता है।
भारत में सौंदर्य चिकित्सा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण संस्थानों की आवश्यकता को शहनाज ने शुरुआत से ही अनुभव किया था इसलिए शहनाज ने भारत में सौंदर्य चिकित्सा के क्षेत्र में ‘वुमेन्स वर्ल्ड इंटरनेशनल’ की स्थापना की। इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य शारीरिक संरचना, सौंदर्य और व्यक्तित्व विकास से लेकर सैलून प्रबंधन तक सभी विषयों पर प्रशिक्षण देना है। इसके बाद शहनाज़ ने महिला सौंदर्य क्षेत्र में प्रसिद्धि प्राप्त करते हुए पुरुष सौंदर्य के क्षेत्र में ‘मैन्स वर्ल्ड इंटरनेशनल’ भी शुरू किया, जो पुरुषो को सौंदर्य चिकित्सा में प्रशिक्षित करने का कार्य कर रहा है।

इसके अलावा दिल्ली के पास शहनाज के दो औषधि उद्यान व फूलों के बाग भी हैं। जहाँ वर्तमान की आवश्यकताओं को देखते हुए औषधीय पादपों की नवीन किस्मों को विकसित किया जाता है। सबसे खास बात यह है की आज की प्रतिस्पर्धा दुनिया में भी शहनाज के सौंदर्य उत्पादों और इतने विशाल कारोबार के बावजूद उनकी कंपनी कभी भी अपने उत्पादों का विज्ञापन नहीं करती। शहनाज ने देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी भारतीय आयुर्वेद को प्रतिष्ठित स्थान प्रदान करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में उनकी कम्पनी सौन्दर्य और सेहत के लिये करीब चार सौ उत्पाद बनाती है जो विश्व बाजार में अपनी अलग पहचान रखते हैं।
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