स्मार्ट आइडिया: 149 रुपये के पहले आर्डर से लेकर 2.5 करोड़ के टर्नओवर तक का सफ़र

हमारे देश में मौजूद लगभग 36 मिलियन माइक्रो, स्मॉल, और मध्यम उद्यमों को लुभाने के लिए कई देशी और विदेशी कंपनियां इन्हें ई-कॉमर्स प्लेटफार्म मुहैया कराने की और अग्रसर है। कायदे से देखें तो वर्तमान परिदृश्य में अपने कारोबार को ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए इन्टनेट और सूचना प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल मज़बूरी के साथ-साथ जरुरी भी हो गई है। छोटे कारोबारियों की इन्हीं मज़बूरी को करीब से भांपते हुए हैदराबाद की एक स्टार्टअप अपने ऑफ़लाइन विपणन को मजबूत करके छोटे व्यवसायों को व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंचने में मदद कर रहा है।

हमारे आस-पास कारोबार की अपार संभावनाएं। सिर्फ बाजार क्षेत्र में ही देखें तो यहाँ चाय विक्रेताओं, मोबाइल शॉप मालिकों, ब्यूटी पार्लर मालिकों, एलआईसी एजेंटों से लेकर कई छोटे व्यवसायिक मिल जायेंगें। इन्हीं छोटे कारोबारियों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए सत्येंद्र गुप्ता ने क्रिएटिव फ़ोर्स कम्युनिकेशन नाम से एक एडवरटाइजिंग फर्म की आधारशिला रखी।

सत्येंद्र बताते हैं कि अपनी एडवरटाइजिंग कंपनी के बैनर तले ये ग्राहकों से डिजाईन संबंधित समाधानों के लिए प्रीमियम शुल्क लेते थे। इस दौरान इन्होंने देखा कि कई ग्राहक अपने लेटरपेड या बिजनेस कार्ड के लिए ज्यादा से ज्यादा 100 रुपये ही देना चाहते थे। ग्राहकों को इनकार न कर उन्होंने सोचा कि क्यों न एक डिजाइन फर्म की स्थापना की जाय, जहाँ हर किसी को कम खर्चे में बेहतर सेवा प्रदान की जाए।

इसी आइडिया के साथ उन्होंने अपनी विज्ञापन एजेंसी के माध्यम से 10 लाख रुपये की शुरूआती पूंजी के साथ प्रिंटएशिया नाम से एक नई कंपनी बनाई। सत्येंद्र ने रात-रात जग कर अपनी ई-कॉमर्स वेबसाइट बनाई और ऑनलाइन कारोबार शुरू किया। जब इन्हें पहला ऑर्डर प्राप्त किया तो काफी उत्साहित हुए लेकिन वह केवल 149 रुपये का था। लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और स्थानीय बाजारों का दौरा कर मसाले पैकेट और अचार जारों के लेबल पर मौजूद फोन नंबरों की लिस्ट बनाई। इसके बाद उन्होंने हर स्थानीय निर्माताओं को फोन कर उनके उत्पाद लेबल के लिए अपने नए डिजाइनों की ओर विश्वास दिलाया। लेकिन इन तमाम लोगों को ग्राहकों में परिवर्तित करने के लिए इन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

आपको यकीन नहीं होगा 149 रुपये के पहले आर्डर से शुरुआत हुई यह कंपनी पिछले वर्ष 19 लाख रुपये का टर्न ओवर की और अब तक इन्होंने लगभग 5,500 ग्राहकों को सेवाएं प्रदान की है।

राजस्थान के रामपुरा नाम के एक गांव में जन्में और पले-बढ़े सत्येंद्र के परिवार की कोई व्यावसायिक पृष्ठभूमि नहीं थी। ऐसी स्थिति में इनके सामने एक ही विकल्प था वह है कि पढ़ाई पूरी कर एक अच्छी नौकरी करना। व्यवसाय चलाने या फिर उद्यमी बनने की बात तो दूर-दूर तक नहीं थी।

सत्येंद्र की माने तो कुछ दोस्तों और बनिया पड़ोसीयों के प्रभाव की वजह से इनके भीतर कारोबार करने की इच्छा शुरू हुई। बचपन में पत्थर खेल के दौरान ये हर किसी के पत्थर जीत उसे वापस बेच दिया करते थे। इतना ही नहीं संक्रांति के दौरान कटे पतंग लूट कर उसे भी बेच देते थे।

स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद सत्येंद्र ने अपने स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए कला-विज्ञान को ही चुना। और पहली बार उन्हें गांव से बाहर शहर जाने का मौका मिला। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी अंग्रेजी नहीं बोल पाने की वजह से इन्हें कहीं नौकरी नहीं मिल पाई। अंत में इन्होंने जॉब की तलाश में दिल्ली की ओर रुख करने का फैसला किया। दिल्ली पहुँच कर इन्होंने अपनी अंग्रजी सुधारी और इनफ़ोसिस में एक साल तक काम किया। फिर हैदराबाद का रुख करते हुए कारोबारी जगत में कदम रखी।

एमएसएमई अक्सर भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी के रूप में माना गया है, लेकिन यह भी सच है कि यह क्षेत्र आज भी असंगठित ही है क्योंकि कई व्यवसाय छोटे, अपंजीकृत और असुविधाजनक हैं। सत्येंद्र ने इसी क्षेत्र में बड़ी संभावनाओं को देखते हुए छोटे स्तर से शुरुआत कर एक सफल कारोबार खड़ा किया।

अपडेट: जुलाई 2020 तक प्रिंटएशिया ने 2 लाख से भी ज्यादा ग्राहकों को अपनी सेवा प्रदान कर 2.5 करोड़ का टर्नओवर कर रही है।

आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और इस पोस्ट को शेयर अवश्य करें

Not Just Poverty, This STD 11 Passed Man Also Defeated Disability and Built Million Dollar Business

24 लाख की शानदार नौकरी छोड़ लौटे गाँव, जैविक खेती से सालाना 2 करोड़ की हो रही कमाई