15 साल की उम्र में छोड़ा घर, रेलवे स्टेशन पर बिताई रात, जानिए कैसे बना ली 300 रुपये से 15 करोड़ का कारोबार

जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना हर किसी को कभी न कभी करना होता है। ऐसे मोड़ पर हमें बेहद सावधान होने की जरूरत होती है। आवश्यक परिवर्तन और योजनाबद्ध तरीके से इस मुश्किल समय पर काबू पाकर लोग विजयी हो सकते हैं। हालांकि, यह सब लोगों के लिए आसान नहीं होता। ज्यादातर लोग अपनी कठिनाई के परिमाण की व्याख्या करने और वास्तविक उपाय न करने में समय व्यतीत कर देते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि ऐसी परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए आपको अन्य लोगों को होने वाली कठिनाइयों के बारे में जानना चाहिए। आज हम एक ऐसे ही शख्स की कहानी लेकर आए हैं, जो आपके भीतर भी नई ऊर्जा और आशा का संचार करेगी।

कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करते हुए सफलता का अनूठा साम्राज्य बनाने वाली चीनू काला की कहानी प्रेरणा से भरी है।

गौरतलब है कि चीनू जब 15 वर्ष की थी, तभी उन्हें अपने पिता के साथ एक बहस के दौरान स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि उन्हें अपना घर छोड़ने के लिए कहा गया। इतनी कम उम्र में चीनू बिना कुछ सोचे अपने माता-पिता के घर को छोड़ निकल पड़ी एक ऐसी यात्रा पर जिसका गंतव्य तक उन्हें मालूम नहीं था। मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर उन्हें पहली बेघर रात बितानी पड़ी।

केनफ़ोलिओज़ से ख़ास बातचीत में चीनू ने बताया कि मैं एक जिद्दी किस्म की इंसान थी और यही वजह रही कि मैंने बिना कुछ सोचे-समझे 15 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया। मेरी जेब में सिर्फ 300 रुपये थे। उस बेघर रात मैं यही सोच रही थी कि 300 रुपये ख़त्म होने के बाद कैसे जीवित रह पाउंगी। वह बेहद ही भयावह और तनावपूर्ण रात थी।

चीनू जब रेलवे स्टेशन पर रुकी हुई थी, तभी एक महिला यात्री ने उन्हें देखा। सब कुछ जानने के बाद उस महिला ने उन्हें घर वापस लौटने की सलाह दी। महिला के बार-बार जोर देने पर चीनू ने उन्हें बताया कि उनके पास वापस घर लौटने का विकल्प नहीं है। अंत में, महिला ने उनकी मदद करने का फैसला किया और उन्हें एक पता दिया जहां उसे नौकरी मिल सकती थी। साथ ही, उन्होंने एक छात्रावास का भी पता बताया, जहां वह प्रति दिन 25 रुपये का भुगतान करके रह सकती है। कोई अन्य विकल्प नहीं होने के कारण, चीनू ने एक सेल्स गर्ल के रूप में काम करना शुरू कर दिया और उस छात्रावास में शिफ्ट हो गई।

चीनू कहती हैं कि “डोर टू डोर सेल्स गर्ल बनना मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती थी और सफलता की दर बहुत कम थी। यह एक ऐसा पेशा है जहाँ 80 प्रतिशत दरवाजे पर आपको बेज्जती का सामना करना होता, केवल कुछ लोग ही विनम्रता से मना करते हैं। ऐसी परिस्थिति में अगले दिन फिर से उसी काम को उसी उत्साह के साथ करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। मुझे लगता है कि उस अनुभव ने मुझे और मजबूत बना दिया और आज मैं जो कुछ भी हूँ, बनने में काफी मदद की।

बतौर सेल्स गर्ल काम करने के अलावा, चीनू ने एक टेली-कॉलर, मेक-अप कलाकार, वेट्रेस और रिसेप्शनिस्ट के रूप में भी काम किया। हर गुजरते दिन के साथ, चीनू ने कला को सीखा और बिक्री की कला में महारत हासिल की।

उन्होंने 2004 में शादी कर ली। कुछ करीबी दोस्तों और उनके पति ने उन्हें ग्लैडरैग्स मिसेज इंडिया प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

“मैंने प्रतियोगिता नहीं जीती, लेकिन मैंने एक महिला के जीवन में फैशन और उससे जुड़ी चीजों के महत्व को सीखा। मैंने महसूस किया कि एक मॉडल की रूप-सज्जा को सवांरने में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता। और तभी मुझे इस क्षेत्र में एक कारोबारी संभावना दिखी।”

यही वह समय था जब चीनू ने अपना खुद का ब्रांड “रुबन्स” लांच करने का फैसला किया। उन्होंने सालों से बचत की हुई अपनी कमाई से ‘रुबन्स एक्सेसरीज’ के रूप में अपने सपने की नींव रखी। बिक्री की उनकी विशाल समझ ने उनके ब्रांड को जल्दी से एक अच्छा प्रतिरूप स्थापित करने में मदद की। तब से चीनू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। आज, रुबंस एक्सेसरीज़ एथनिक और वेस्टर्न ज्वेलरी में दो हज़ार से अधिक डिज़ाइनों की विशाल श्रृंखला पेश कर चुकी है जो 229 रुपये से लेकर 10,000 रुपये की राशि में उपलब्ध हैं। आज केरल के कोच्चि शहर में उनके आउटलेट्स भी हैं और साथ ही उनके आभूषण ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। कंपनी का रेवेन्यू 15 करोड़ के पार है।

चीनू की कहानी विरल कहानियों में से एक है जो हमें विश्वास दिलाती है कि यदि कोई व्यक्ति लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है तो किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है।

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