15 हजार रुपये, एक अनूठा आइडिया, दो रुपये के पाउच से बन गया 1100 करोड़ का साम्राज्य

सफ़लता की यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने एफएमसीजी के सारे नियम ही बदल डाले। इस शख्स ने सैशे-क्रांति लाकर पूरे बिज़नेस के क्षेत्र में तहलका ही मचा दिया। उन्होंने अपने बिज़नेस की शुरुआत 15000 रुपये की एक मामूली रकम से की और आज इनका सालाना टर्न-ओवर 1100 करोड़ के पार है। लेकिन सफ़लता का यह सफ़र इतना आसान नहीं था, कठिन संघर्ष, कड़ी मेहनत और कुछ नया करने की चाह में आज ये बिज़नेस जगत के एक जाने-माने टाइकून बन बैठे।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं, केविन केयर के सीईओ सी के रंगनाथन की। रंगनाथन के सफर की शुरुआत तमिलनाडु के एक छोटे से शहर कड्डलोर से हुई। एक बेहद की गरीब किसान परिवार में पैदा लिए रंगनाथन ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पिता से ही प्राप्त की। रंगनाथन पढ़ाई में कमजोर थे इसलिए उनके पिता चाहते थे कि वह या तो खेती करे या फिर बिज़नेस करे। रंगनाथन का एक और शौक था, वह यह कि उन्हें पालतू जानवर और पक्षी पालने का बेहद शौक था। जब वह पांचवी में थे तब उनके पास 500 कबूतर, बहुत तरह की मछलियां और विभिन्न प्रजाति के पक्षी हुआ करते थे। अपने इस शौक के बिज़नेस से मिली पूंजी से वह अपना बिज़नेस करना चाहते थे।

जब उनके पिता की मृत्यु हुई तब वह कॉलेज में थे। पिता की मृत्यु के बाद परिवार का सारा दारोमदार रंगनाथन के कंधें ही आ गया। और फिर उन्होंने अपने पालतू जीवों को बेचकर शैम्पू बनाने का एक छोटा कारोबार शुरू किया।

शुरूआती दिनों में उनका करोबार सही से नहीं चला, फिर उन्होंने अपने भाई ने वेलवेट इंटरनेशनल और फिर वेलवेट शैम्पू के करोबार में लिप्त हो गए। लेकिन रंगनाथन शुरू से ही अपना खुद का बिज़नेस शुरू करना चाहते थे। इसी चाह की बदौलत उन्होंने एक बार फिर नए तरीके से बिज़नेस की शुरूआत करी और फिर चिक इंडिया की शुरुआत हुई।

शुरुआत में कंपनी केवल शैम्पू ही बनाती थी और अपने प्रोडक्ट को गाँवों और छोटे शहरों में बेचा करती। उन्होंने शैम्पू के पाउच की कीमत केवल दो रुपये रखी। कम पैसे में गुणवत्ता पूर्ण प्रोडक्ट बेचकर उन्होंने काफी कम समय में ही लोगों का दिल जीत लिया। उसके बाद उन्होंने अपने कंपनी का नाम बदलकर केविनकेयर रख दिया और साथ ही साथ उसमें सौन्दर्य प्रसाधनों को भी शामिल करअपने करोबार का विस्तार किया।

अपने पिता को अपना सबकुछ मानने वाले रंगनाथन ने अपनी कंपनी को श्रद्धाञ्जलि के रूप में अपने पिता को समर्पित किया। केविन केयर नाम का अर्थ है प्राचीन सौन्दर्ययता और निखार। शुरूआती सफ़लता के बाद रंगनाथन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उनका अगला कदम फूलों की खुशबु वाले प्राकृतिक इत्र की ओर था। गुलाब और चमेली की फ्रेग्रेन्स को लोगों ने काफी पसंद किया। 35 लाख पाउच रोज की सुगन्धित इत्र की बिक्री हुई और कंपनी मिलियन डॉलर के क्लब में शमिल हो गई। आज चिक देश का दूसरा सबसे बड़ा शैम्पू ब्रांड है, क्लीनिक प्लस के बाद। इसके बाद रंगनाथन ने अचार के पाउच, नाइल हर्बल शेम्पू, मीरा हेयर वाश पाउडर, फॉरएवर क्रीम और इंडिका हेयर कलरिंग ऐसे बहुत सारे ब्रांड मार्किट में लाये और सफल भी हुए।

रंगनाथन रोज सुबह 5:30 बजे उठ जाते हैं, आधे घंटे तक तैराकी करते हैं। अपना कुछ समय वे बच्चों को देते हैं, और वे केवल मैनेजमेंट की बुक्स पढते हैं। और बाकी समय वे अपनी कंपनी को इंटरनेशनल कंपनी बनाने के बारे में सोचते रहते हैं।

कुछ महीनों के बाद इनकी कंपनी ने टेक्स नामक टॉयलेट क्लीनर बाजार में लांच किया और वह भी पाउच में। केविन केयर ही एक ऐसा ग्रुप है जिसमे बहुत ही आधुनिक तरीके से पैकेजिंग की जाती है। तमिलनाडु में टेक्स टॉयलेट क्लीनर बहुत ही पॉपुलर हुआ।

उनका अगला ध्येय कंपनी को विश्व स्तर तक पहुँचाना है। उनकी सफलता के राज़ हैं उनका टीमवर्क, नये-नये आविष्कार और उन्हें अपने प्रोडक्ट में शामिल करने का हुनर।

उनकी सफलता कई मायनों में प्रेरणा से भरी है। सबसे खास बात यह है कि कोई भी आइडिया छोटा या बड़ा नहीं होता, बस मंजिल तक पहुँचने की ललक आपके भीतर हो। यदि दृढ़ इच्छशक्ति के साथ सपनों का पीछा किया जाए तो फिर सफल होने से आपको कोई नहीं रोक सकता।

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