18 की उम्र में कारोबारी दुनिया में रखा कदम, दोस्त के सुझाए एक आइडिया से बन गए 13,000 करोड़ के मालिक

जब अंदर जुनून और जज्बा हो तो इंसान अपना रास्ता खुद बनाता है। हमारी आज की कहानी के नायक भी इसी किस्म के हैं जिन्होंने लिक से हटकर खुद को स्थापित करने का फैसला किया और आज वे देश के एक नामचीन उद्यमी हैं। उनके खून-पसीनों से सींची हुई कंपनी आज भारत के शीर्ष उद्योगों इंडस्ट्री में शुमार होती है।

जी हाँ, एंटरटेनमेंट सेक्टर से लेकर इंजीनियरिंग वर्क्स तक में अपनी कामयाबी का डंका बजाने वाले देवेन्द्र जैन आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। आइनॉक्स समूह की आधारशिला रखने वाले इस 88 वर्षीय उद्यमी की जीवन यात्रा बेहद प्रेरणादायक है। करीब 13,000 करोड़ की संपत्ति के धनी इस शख्स की गिनती आज देश के 100 सबसे अमीर लोगों में होती है।

देवेन्द्र जैन ने महज़ 18 वर्ष की उम्र से ही बिज़नस में अपनी रूचि दिखाना शुरू कर दिया था। उनके पिता सिद्धमोल जैन का पेपर व न्यूज़ प्रिंटिंग का बिज़नेस था। पिता की ही राह पर चलते हुए देवेन्द्र ने कारोबार की बारीकियों को सीखा और साथ-ही-साथ अपनी पढ़ाई भी पूरी की। दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी करने के बाद उनका रुझान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ओर बढ़ने लगा। उनके एक दोस्त जोकि ब्रिटिश ऑक्सीजन में कार्यरत थे उन्होंने उन्हें प्राकृतिक वायु से गैस को निकलने व तरलीकरण करने की सलाह दी। देवेन्द्र जैन को भी वायु से गैसों का निष्कर्षण व तरलीकारण कर बेचने के कारोबार में फायदा नज़र आया। क्योंकि उनदिनों औद्योगिक गैसों का इस्तेमाल इस्पात, विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में व्यापक रूप से हो रहा था। इसलिए इस क्षेत्र में फायदे ही फायदे थे।

देवेन्द्र को अपने आइडिया पर यक़ीन था इसलिए उन्होंने अपने भाई ललित के साथ मिलकर जर्मनी व अमेरिका की यात्रा की ताकि इसे और गहराई से समझा जा सके। वहाँ उन्होंने औद्योगिक गैस बनाने वाली कंपनियों को देखा और साथ ही ज़र्मनी से एक ऑक्सीजन संयंत्र भी खरीदकर भारत लाए।

सन 1963 में उन्होंने पुणे में ऑक्सीजन बनाने के लिये इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन कंपनी बनाई। उनकी कंपनी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के साथ दवा उद्योग और हॉस्पिटल में भी ऑक्सीजन का सप्लाई करनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे कारोबार फैलता चला गया और देवेन्द्र के बाद एक छलांग लगाते चले गये। आइनोक्स ने इसके अलावा और भी अलग-अलग क्षेत्रों में अपने पैर फ़ैलाने शुरू किये। आज आइनॉक्स भारत का सबसे लोकप्रिय मल्टीप्लेक्स श्रृंखला है जिसके 120 से ज्यादा शहरों में सिनेमाघर हैं।

आज उनकी कंपनी की बागडोर उनके परिवार के तीसरी पीढ़ी सिद्धार्थ के हाथों में है। देश में आइनोक्स इकलौता ऐसा ग्रुप है जो रेफ्रिजेन्ट गैस के साथ-साथ इसके सिलेंडर भी बनाता है। वर्तमान में समूह के औद्योगिक गैस, फ्लोरोकार्बन, क्रोयोज़ेनिक इंजीनियरिंग और मल्टीप्लेक्स के बिज़नेस में बड़ा नाम बन चुकी है।

सन 1963 में उन्होंने पुणे में ऑक्सीजन बनाने के लिये इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन कंपनी बनाई। उनकी कंपनी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के साथ दवा उद्योग और हॉस्पिटल में भी ऑक्सीजन का सप्लाई करनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे कारोबार फैलता चला गया और देवेन्द्र के बाद एक छलांग लगाते चले गये। आइनोक्स ने इसके अलावा और भी अलग-अलग क्षेत्रों में अपने पैर फ़ैलाने शुरू किये। आज आइनॉक्स भारत का सबसे लोकप्रिय मल्टीप्लेक्स श्रृंखला है जिसके 120 से ज्यादा शहरों में सिनेमाघर हैं।

आज उनकी कंपनी की बागडोर उनके परिवार के तीसरी पीढ़ी सिद्धार्थ के हाथों में है। देश में आइनोक्स इकलौता ऐसा ग्रुप है जो रेफ्रिजेन्ट गैस के साथ-साथ इसके सिलेंडर भी बनाता है। वर्तमान में समूह के औद्योगिक गैस, फ्लोरोकार्बन, क्रोयोज़ेनिक इंजीनियरिंग और मल्टीप्लेक्स के बिज़नेस में बड़ा नाम बन चुकी है।

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