जेब में मात्र 200 रुपये, किन्तु लक्ष्य के प्रति इरादे मजबूत थे, आज 2000 करोड़ के मालिक हैं

सफलता अक्सर उन्हीं को मिलती है जो लोग सफलता की तलाश में मशगूल रहते हैं। मिराज ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्री के मालिक, मूवी प्रोडयूसर, लोकहितैषी और बिज़नेस मैगनेट मदन पालीवाल का भी यही कहना है। मिराज ग्रुप का बिज़नेस 1987 में अस्तित्व में आया हालांकि इन सारी सफलताओं के लिए उन्हें कीमत भी चुकानी पड़ी। उनकी जीवन की कहानी पूरी तरह से बॉलीवुड फिल्मों जैसी जान पड़ती है।

मदन पालीवाल का जन्म राजस्थान के नाथद्वारा में 1959 में हुआ। उन्होंने अपना ग्रेजुएशन गवर्नमेंट कॉलेज नाथद्वारा से पूरा किया। बचपन से ही उनका झुकाव बिज़नेस की तरफ था। वे आत्मनिर्भर बनना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने छठी कक्षा में पढ़ते हुए ही अपना पहला वेंचर शुरू किया। आर्थिक तंगी की वजह से यह बिज़नेस ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया। वे बड़े होकर एक बड़ा बिज़नेसमैन बनना चाहते थे।

मदन ने बहुत सारे क्षेत्र में हाथ आजमाया जैसे नमकीन, प्लास्टिक बैग्स बेचने के कारोबार और यहाँ तक उन्होंने अपने दोस्त के पावभाजी के स्टाल में एक अकाउंटेंट के रूप में काम किया। परन्तु कोई भी बिज़नेस सफल नहीं हो पाया। प्रारंभिक असफलताएं भी उन्हें नहीं रोक पाई। उनका लक्ष्य के लिए इरादा और भी मजबूत हो गया और उन्होंने तय किया कि वे किसी दूसरे आइडिया पर काम करेंगे।

इस दौरान उन्हें राजस्थान के शिक्षा विभाग में एक सरकारी नौकरी मिल गई। इस नौकरी की बदौलत उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा और उन्होंने बचे हुए समय में बिज़नेस करने का मन बना लिया। एक बार जब वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर कर रहे थे तब उनके पास बैठे एक यात्री ने उन्हें तम्बाकू दिया। और तभी उनके दिमाग में मिराज टोबैको का आइडिया आया। मिराज टोबैको एक स्वच्छ और सुरक्षित विकल्प था।

बिना पूंजी और आधारभूत संरचना के उन्होंने 1987 में एक फर्म की शुरूआत की, जिसका नाम मिराज ज़र्दा उद्योग रखा गया। इसकी शुरूआत घर से ही की गई और बहुत सी बाधाओं को पार कर यह बिज़नेस आगे बढ़ा और सफल भी हुआ। पालीवाल धैर्य और सफलता की अपनी अथक तलाश के बूते सभी बाधाओं से बाहर आते गए। धीरे-धीरे उन्होंने दूसरे शहरों में अपने कारोबार का विस्तार किया। 2001 में उन्होंने अपने बिज़नेस में विविधता लाने की सोची और एक स्टेशनरी यूनिट उदयपुर में शुरू किया।

धीरे-धीरे उन्होंने दूसरे क्षेत्र जैसे FMCG डिवीज़न, हॉस्पिटैलिटी, PVC पाइप्स, कॉस्मेटिक्स, रियल एस्टेट में भी अपना हाथ आज़माया। 2008 में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी किस्मत आज़मायी। इतने सारे बिज़नेस में व्यस्त रहने के बावजूद समाज की भलाई के लिए भी वे काम करते रहे। अपने आस-पास के गरीब लोगों की मदद के लिए भी आगे आये। पालीवाल खेलकूद को लेकर भी काफी संजीदा हैं इसलिए उन्होंने नाथद्वारा में एक स्टेडियम बनवाया।

घर से ही शुरू हुआ एक साधारण सा प्रोडक्ट, मिराज ग्रुप के बैनर तले आज बहुत सारी इंडस्ट्री के रूप में बदल गया है। आज मिराज समूह के अंदर अलग-अलग क्षेत्रों की कुल 20 कंपनियां है।

महज 200 रूपये के निवेश से शुरू हुई यह कंपनी आज 2000 करोड़ के क्लब में शामिल हो चुकी है। इतना ही नहीं पालीवाल की गिनती आज बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े प्रोड्यूसर में होती है। मिराज सिनेमा नाम के बहुत सारे मल्टीप्लेक्स पूरे भारत भर में फैले हुए हैं।

सफलता की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि छोटे स्तर से ही सही लेकिन शुरुआत करनी चाहिए, तभी शिखर तक पहुँचने का रास्ता मिलता है।

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