22 की उम्र में ही अपनी पहली कोशिश में UPSC क्रैक करने वाली एक सख़्त IPS

अगर हम अपने देश में महिलाओं की स्थिति के बारे में सोचे तो बहुत सारी बातें सामने आती हैं। कहीं महिलाओं को बराबर का अधिकार नहीं मिल रहा तो कहीं महिलाओं को पढ़ने की छूट नहीं दी जाती। महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएँ भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। महिलाओं की इन समस्याओं के निपटारे के लिए हर विभाग में महिलाओं की भागीदारी बहुत ज़रुरी है, तभी जाकर उन्हें उनका हक़ व समाज में बराबर का स्थान प्राप्त हो सकता है। आज हम एक ऐसी ही महिला आईपीएस की बात कर रहे हैं जिसने महिलाओं की सुरक्षा के लिए नए-नए प्रयोग किये।

मेरीन जोसफ भारतीय पुलिस सेवा के उस अधिकारी का नाम है जो अपनी कार्य शैली के साथ-साथ खूबसूरती के लिए भी जानी जाती हैं। केरल कैडर की इस आईपीएस ऑफिसर नें बचपन में ही सोच लिया था कि वे बड़ी होकर प्रशासनिक अधिकारी बनेंगी और देश की सेवा करेंगी। केरल के एक अच्छे घराने में पैदा हुई मेरीन का पालन-पोषण शुरू से ही ऐसे माहौल में हुआ जहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को किसी समझौते की गुंजाइश नहीं थी। अपनी शुरुआती पढ़ाई केरल से ही की लेकिन उच्च शिक्षा के लिए वे दिल्ली आ गयीं। दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीए ऑनर्स और हिस्ट्री में मास्टर्स की डिग्री हासिल की।

उसके बाद मेरीन यूपीएससी के परीक्षा की तैयारी में लग गयीं। अपने बचपन के सपने को साकार रूप देने के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की और साल 2012 में अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की। उस वक़्त उनकी उम्र महज़ 22 वर्ष थी। हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग करते हुए उन्होंने हथियार चलाना और तैराकी करना सीखा। साल 2016 में वे राज्य स्वतंत्रता दिवस परेड को कमांड करने वाली सबसे कम उम्र की अफसर बनीं। इसी वर्ष पदोन्नति देकर उन्हें पुलिस अधीक्षक बनाया गया है।

मेरीन समाज सुधार के अपने कामों के लिये हमेशा चर्चा में रहती हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए वे हमेशा सजग रहती हैं। कोझीकोड की डीसीपी के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने केरल में महिलाओं की सुरक्षा को भाँपने के लिए एक नया और अनोखा प्रयोग किया था। वे अपनी दो महिला कांस्टेबल वीके सौम्या और एम सबिता के साथ सिविल ड्रेस में सड़कों पर निकलने का फैसला किया था। वे जानना चाहती थीं कि सामान्य महिलाओं को रात में सड़क पर चलने में किन-किन दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।

उनका मानना था कि वे यूनिफॉर्म और आधिकारिक वाहन में कहीं भी जाती हैं तो उन्हें एक अलग अटेंशन मिलता है। और एक सामान्य महिला के लिए स्थिति बिलकुल अलग होती है। इस नए प्रयोग से उन्हें बहुत सारे अनुभव मिले। इस दौरान कुछ इलाकों में पुरुषों ने उन्हें देख सीटियाँ बजाईं और कुछ जगह पर मौखिक रूप से टिप्पणी की।

इन सब के बाद मेरीन ने पूरे शहर में गस्त करवाना शुरू किया ताकि महिलाओं के लिए शहर को सुरक्षित बनाया जा सके। निरंतर गश्त के चलते अब पहले की तुलना में मौखिक कमेंट करने की घटनाएँ काफी कम हो गई हैं। मेरीन महिला सुरक्षा के लिए हमेशा नए-नए कदम उठती रहती हैं।

27 वर्ष की मेरीन ने अपनी कार्य शैली से एक बेहद ही सख़्त और ईमानदार छवि वाली महिला अधिकारी के रूप में पहचान बनाई हैं। तमाम महिला पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ वह देश की भावी पीढ़ी के लिए भी एक प्रेरणास्रोत हैं।

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