250 रुपये की मामूली तनख़्वाह, एक डिलीवरी बॉय से 600 करोड़ की कंपनी का हिस्सेदार बनने की कहानी

जीवन में आने वाली हर कठिनाई से कुछ सीख कर यदि अपने सपनों को पंख लगाते चले जाएं तो कुछ अनोखा हर कोई अपने जीवन में कर सकता है। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के एक गरीब किसान के बेटे आनंद राय ने कर दिखाया। 14 वर्ष की उम्र में ही बतौर कूरियर बॉय अपने करियर की शुरुआत करने वेक आनंद आज 600 करोड़ की लॉजिस्टिक कंपनी गोजावास के मालिक हैं। 250 रुपये महीने की मामूली तनख़्वाह से इतने विशाल साम्राज्य का मालिक बनने वाले इस शख्स की कहानी अपने आप में अद्वितीय है।

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक गरीब किसान के घर जन्में आनंद ने बचपन से ही गरीबी और अभावों को बेहद करीब से देखा। बारिश आने पर फसल को ढ़कने तक के पैसों की मोहताजगी और गांव का जीवन उन्हें रास नहीं आया। अंत में वे गाँव छोड़ देहरादून की रुख किए और फिर वहां से मुंबई।

यहां एक कूरियर कंपनी में उन्होंने बतौर डिलीवरी बॉय अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि मुंबई जैसे शहर में जीवन-यापन करना आसान नहीं था। चाल में रहकर 150 रुपये किराए और बाकी के 100 रुपये में गुजारा करना बहुत कठिन था। सुबह-सुबह सार्वजनिक शौचालयों की लाइन में लगना, स्‍लम एरिया में रहने वाले आनंद को कई बार अपना गांव याद आता लेकिन मन में कुछ करने की चाह उन्हें रोक लेती थी।

मायानगरी में आनंद को कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। उनके साथ घटी एक घटना ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया, जब मुम्बई के रेड लाइट एरिया से गुजरते हुए वहां की महिलाओं ने उनसे सब कुछ लूट लिया। एक ग्राहक की लैब रिपोर्ट की डिलीवरी जो उन्हें करनी थी उसे छोड़कर उनके पास कुछ भी नहीं बचा। लेकिन परिस्थितियों काडटकर मुकाबला करने वाले आनंद ने एक बार फिर खुद को मजबूती प्रदान की।

2004 तक उन्होंने मुंबई से दिल्ली तक कई कूरियर कंपनियों के लिए काम किया। आनंद की विश्लेषणात्मक क्षमता ने यह परख लिया कि इसी क्षेत्र में वह अपना भविष्‍य बना सकते हैं। इस क्षेत्र में इतने दिनों तक काम करने से प्राप्त तजुर्बे का इस्तेमाल कर उन्होंने साल 2004 में अपनी लॉजिस्टिक कंपनी “पिजन एक्सप्रेस” की नींव रखी। दिल्ली के पहाड़गंज में एक छोटी सी दुकान से उन्होंने अपने सपने की आधारशिला रखी।

2004 तक के संघर्ष की यह यात्रा व्यापार के कई जटिल गुण सीखने की कला की साक्षी भी रही। टेलीकाम और बैंकिंग सेक्टर के लेटर्स और जरूरी कागजात की डिलीवरी पिजन एक्सप्रेस का मुख्य व्यापार रहा। 250 रूपये की पहली कमाई से लाखों के टर्नओवर तक पहुँचने में वे सफल हुए। साल 2013 में उद्यम पूंजी के आने से पहले तक पिजन एक्सप्रेस को विस्तार मिला, लेकिन 2015 में कंपनी को नुकसान का सामना करना पड़ा। इसकी मुख्य वजह थी उद्यम पूंजी द्वारा समर्थित डिलीवरी स्टार्टअप डिलीवरी बॉय को अपनी कंपनियों में नौकरी ज्‍यादा तनख्‍वाह देकर दी। लेकिन थोड़े ही समय में लड़कों की वापसी भी हुई। इन सभी कठिनाइयों के बावजूद आनंद की कंपनी ने साल 2017 में 15 करोड़ का लाभ अर्जित किया।

विनीत उस समय चर्चा में आए जब रातोंरात उन्होंने स्नेपडील द्वारा समर्थित लॉजिस्टिक स्टार्टअप गोजावास में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी। 51 फीसदी हिस्सेदारी के साथ उन्हें कंपनी का डायरेक्टर नियुक्त किया गया। 20 करोड़ वाली कंपनी से सीधा 600 करोड़ वाली कंपनी का डायरेक्टर बनना सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय रहा।

2200 कर्मचारियों की कंपनी जिसका मूल्यांकन वर्ष 2017 में 650 करोड़ के आसपास रहा, ऐसी विशाल कंपनी के मालिक का सफर 250 की कमाई से शुरू हुआ था। बेशक यह प्रेरणा देने वाला है, साथ ही चौकाने वाला भी है। मेहनत के साथ-साथ कुशाग्र बुद्धि जब परिस्थितियों और तथ्‍यों का आकलन निरंतर करती रहे तो हर वह क्षेत्र चाहे वह व्‍यापार हो या नौकरी आपको अपार संभावनाएं प्रदान करता है। आनंद राय का जीवन इस सत्य का साक्षात प्रमाण है।


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