“चाय की दुकान” ऐसा कहते ही एक छोटा सा ठेला गाड़ी या एक छोटी प्लास्टिक शेड की तस्वीर मन में उभरती है जिसे एक छोटी सी आय देने वाला समझ कर इस बिजनेस को कोई तव्वजो नहीं मिल पाता। मगर वह कहते हैं न “जो लोग जीतते हैं वह कोई अलग चीजों को अंजाम वहीं देते बल्की वह आम चीजों को खास अंदाज में पूरा करते हैं।” और चाय को खास अंदाज देने लिए ऑस्ट्रेलिया से लाखों की नौकरी छोड़ कर अपने देश अपनी मातृभूमी भोपाल लौट कर आए मधुर मलहोत्रा एक ऐसे खास और प्रेरणादायक कहानी के जीवंत पात्र हैं।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आस्ट्रेलिया से 30 लाख का पैकेज छोड़ भोपाल में शिवाजी नगर जोन-2 में 20 तरह के स्वाद में चाय बेचने हैं। मधुर ऑस्ट्रेलिया से आईटी एण्ड कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री हासिल कर वहाँ के सरकार की हेल्थ डिपार्टमेंट में कार्यरत थे।

उनकी चाहत शुरु से ही अपने देश में अपने माता-पिता के साथ रहने की थी। बहन का विवाह होने के बाद उन्हें अपने माता पिता की और चिंता होने लगी। ऐसे में एक बार माता जी की तबियत खराब होने पर जब ह्रदय सर्जरी की बात हुई तो वे नौकरी छोड़कर अपने शहर भोपाल चले आए और माता जी की सेवा करते हुए अपने पिता के रियल स्टेट और कन्सट्रक्शन के काम में जुड़ गये।
लेकिन उनके मन में शुरु से ही कुछ खास और वो भी अलग अंदाज में करने की चाहत थी। ऐसे में एक रोज जब वे अपनी मित्र शैली जार्ज के साथ एक चाय की दुकान पर रुके तो उन्होने देखा की वह व्यक्ति बिल्कुल ही गंदे हाथ से चाय बना रहा था और आस-पास भी गंदगी फैली थी। वहाँ खड़े लोग भी धुम्रपान कर रहे थे। वहाँ कोई भी महिला नहीं थी और न हीं उनके जैसे संभ्रांत लोग के लिए वह स्थान उपयुक्त था। तभी मधुर के मन में एक ऐसा टी-कैफे खोलने का विचार आया जहाँ खुशनुमा, साफ-सुथरे और सुरक्षित माहौल में चाय की चुस्की का आनंद ले सके।
ऑस्ट्रेलिया में रहते हुए उन्होंने महसूस किया था कि काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता है। बस काम वो हो जो लगन और मेहनत से किया जाये। शुरुआत में घर में विरोध होने पर भी उन्होंने साल 2011 में “चाय-34” की शुरुआत की। शुरुआत में उनकी मदद के लिए कोई स्टाफ नहीं था। वह और उनका पार्टनर दोनों मिल कर काम किया करते थे। शुरूआती दिनों में उनके स्टाल पर सिर्फ ईरानी चाय मिलती थी जो उतनी कारगर नहीं हुई। फिर कुल्लहड़ में चाय देना शुरु किया जिसमें चाय की सोंधी खुशबू और स्वाद ने ग्राहकों को खूब लुभाया और कुल्हड़ के दोबारा इस्तेमाल न होने से इसकी शुद्धता भी बनी रही।
चाय-34 में 50 लिटर चाय की स्टोरेज क्षमता होती है जो कुछ ही घण्टे में समाप्त हो जाती है। यहाँ तुलसी-इलाइची, तुलसी-अदरक, मसाला चाय जैसे देसी वैराइटीज के अलावा लेमन-हनी, लेमन-तुलसी जैसे रॉ टी फ्लेवर्स भी उपलब्ध हैं। युवाओं के लिए चाय के साथ स्नैक्स, मैगी, काॅफी और कुछ अन्य समाग्री भी उपलब्ध है। मगर चाय-34 की विशेषता चाय की ही है। मधुर और उनकी मित्र चाय के जायके को सीसीडी जैसी ऊँचाईयों पर ले जाना चाहते हैं। इसके लिए चाय की क्वालिटी से उन्होंने कभी कोई समझौता नहीं किया। चाय के मसालें अमेरिका से मँगवाते हैं और शुद्ध वातवरण के लिए हल्की म्यूजिक से समां बांधते हैं।
सबसे खास बात है कि इस स्टाल पर धुम्रपान करना सख्त मना है। सर्दियों के मौसम में ‘चाय-34’ (Chai 34) में हर रोज करीब 400 ग्राहक चाय पीने के लिये आते हैं, जबकि गर्मियों में ये संख्या थोड़ी कम हो जाती है। नई पीढ़ी के लिए हैंग आउट करने का एक नया अड्डा यह बनता जा रहा है। देश के युवाओं को कम पूंजी में रोजगार और गलत राह पर भटकाव से बचाव के लिए उन्होंने चाय-34 की फ्रेंचाइजी की भी शुरुआत की है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कई स्टाॅल खोलने के साथ उन्होंने गुजरात समेत देश के कई हिस्से में विस्तार करने को लेकर कार्यरत हैं।

फ्रेंचाइजी में एक ही शर्त है कि स्वाद और गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं करेंगे और किसी भी हाल में चाय-34 पर स्मोकिंग की इजाजत नहीं होगी — मधुर मलहोत्रा
जहाँ विदेशों की चकाचौंध में युवा छोटी से छोटी नौकरी करने के लिए विदेशों में अवसर तलाश रहे हैं वहीं मधुर मलहोत्रा जैसे कुछ युवा छोटे से अवसर में बड़ा सा अवसर तलाश कर विदेश की नौकरी छोड़ कर न सिर्फ स्वरोजगार को एक नया आयाम देने की काबिलियत रखते हैं बल्कि अपनी सफलता से नई पीढ़ी के युवाओं को यह संदेश देते हैं कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। जरुरत है तो बस अलग नजरिये से देखने की और अलग अंदाज में करने की।
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