42 साल की उम्र में की शुरुआत, आज है 25 करोड़ का टर्नओवर, सामान्य गृहिणी से कामयाब उद्यमी तक का सफ़र

जीवन हमें जीने के केवल दो विकल्प देता है – कुछ लोग अपने लक्ष्य का पीछा करते हैं और सफलता का साम्राज्य स्थापित करते हैं, वहीं कुछ अपनी असफलता के लिए प्रतिकूलताओं को दोष देना पसंद करते हैं। कायदे से देखें तो जीवन हर किसी को अपनी इच्छाओं को पूरा करने का भरपूर अवसर देता है। बावजूद इसके हम में से अधिकांश संभावनाओं को समझने और आवश्यक कदम उठाने में विफल रहते हैं, वहीं कुछ लोग सही समय पर सही निर्णय के साथ मंज़िल तक पहुंचने में कामयाबी हासिल करते। दिव्या रस्तोगी की कहानी कुछ ऐसी ही है जिन्होंने प्रतिकूल स्थिति के बावजूद एक सामान्य गृहिणी से सफल उद्यमी तक का सफ़र तय किया।

बतौर गृहिणी एक आरामदायक जीवन व्यतीत करने वाली दिव्या ने 42 साल की उम्र में उद्यमिता को गले लगाने का सपना देखा। अपने बड़े बेटे को कॉलेज भेजने के बाद, उनके पास खुद के लिए काफी वक़्त होता था, और यही वह समय था जब उन्होंने इंटीरियर डिजाइनिंग के लिए अपने जुनून के साथ आगे बढ़ने का सोचा। साल 2004 से हुई यह जुनूनी शुरुआत आज एक लंबा सफ़र तय कर चुका है। अबतक दिव्या 250 से अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालयों को डिज़ाइन कर चुकी हैं।

दिव्या ने केनफ़ोलिओज़ के साथ विशेष बातचीत में बताया “मैं सिर्फ कुछ करना चाहती थी, लेकिन मेरे पास कोई पेशेवर डिग्री नहीं थी। चूंकि मुझे हमेशा से अंदरूनी चीजों में दिलचस्पी थी, इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न इंटीरियर डिजाइनिंग को चुना जाए। फिर मैंने पेशेवर कोर्स में दाखिला लिया और आधी उम्र के छात्रों के साथ कक्षाओं में भाग लेना शुरू कर दिया।”

दिव्या सिर्फ टर्नकी इंटीरियर डिजाइनिंग प्रोजेक्ट्स लेती हैं, और अबतक उन्होंने कई भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय को डिज़ाइन किया है। उनके ग्राहकों में ओलंपस, कोन, विलियम ग्रांट्स एंड संस, एबट, पैनासोनिक, कोरस, टोयोटा जैसे ब्रांड शामिल हैं। वह सिर्फ बड़े कॉर्पोरेट कार्यालयों को ही डिजाइन नहीं करती बल्कि बड़े-बड़े गोदाम, सेवा केंद्र, स्वचालित रसोई घर तक, सब कुछ करती हैं। हाल ही में उन्होंने एरोसिटी दिल्ली में डुकाटी के कार्यालय को डिज़ाइन किया है साथ ही 40,000 वर्ग फुट के एक बड़े गोदाम को भी। वह कार्यालय के लिए खाली स्थान लेती हैं और बेहद खूबसूरत शक्ल देते हुए, रेडी-टू-मूव कार्यालयों में तब्दील कर देती हैं।

यह पूछे जाने पर कि उनका अब तक का सफ़र कैसा रहा है, वह कहती हैं, ”कड़ी मेहनत हमेशा फल देती है, और यही मेरे साथ भी हुआ है। मैंने कई बड़े-बड़े क्लाइंट्स के साथ काम किया है और कुछ स्थानों पर कार्यालय स्थापित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।”

जीवन में थोड़े विलंब से शुरुआत की वज़ह से उन्हें दोगुनी मेहनत करनी पड़ी। “मैं एक बहुत ही पारंपरिक परिवार से आती हूं, इसलिए मुझे अपने परिवार के कर्तव्यों को भलीभांति पूरा करते हुए खुद के लिए करियर बनाने की दिशा में कार्य करना पड़ा। घर के सारे काम को निपटाने के बाद मैं अपने छोटे बेटे के साथ पढ़ाई करती थी। मुझे कई वर्षों तक मध्यरात्रि तक जग-जग पढ़ाई करनी होती थी, लेकिन निश्चित रूप से, मुझे इस पर पछतावा नहीं है। “

यह भी बहुत आश्चर्य की बात है कि दिव्या ने कभी भी विपणन या प्रचार पर एक पैसा खर्च नहीं किया। लोगों के द्वारा उनके डिजाइनों को देखने के बाद ग्राहक खुद-बखुद खींचे चले आते गए। जब उनसे उनकी सफलता के मंत्र के बारे में पूछा गया, तो वह गर्व से बताती हैं, “सफलता का कोई शॉर्ट-कट नहीं है। मुझे अपने प्रत्येक प्रोजेक्ट को अपने हाथ से डिजाइन करना और उसकी योजना बनाना पसंद है। मैं अपने काम को अपना व्यक्तिगत स्पर्श देना पसंद करती हूं, हालांकि मेरी टीम, निश्चित रूप से, इसे निष्पादित करती है, मैं साइटों पर जाती हूं और हर चरण की रिपोर्ट लेती हूं। इसके अलावा, मेरा सबसे बड़ा यूएसपी यह है कि मेरे सारे कार्य समय के साथ पूर्ण हुए और यही कारण है कि मेरे ग्राहक मुझे बार-बार प्रोजेक्ट देते हैं। “

आज दिव्या के डिजाइनिंग फर्म का सालाना टर्नओवर 25 करोड़ के पार है। उनकी सफलता वाक़ई में प्रेरणा से भरी है। उन्होंने साबित कर दिखाया है कि किसी भी चीज़ को शुरू करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। यदि दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ लक्ष्य का पीछा किया जाए, तो सफलता अवश्य दस्तक देगी।

कहानी पर आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और पोस्ट अच्छी लगी तो शेयर अवश्य करें।

At 50, She Turned Her Building Terrace In Organic Farm – Produces 2kg Of Veggies Every Day

Rajasthan Duo’s Organic Health And Wellness Company Makes Rs 10 Crore Turnover Amid COVID Pandemic