किसी भी परिणाम की प्राप्ति के लिए हमें निरंतर कर्मशील, लगन और धैर्य की आवश्यकता होती है। सच्ची निष्ठा व लगन सच्ची सफलता के पर्यायवाची हैं। जब व्यक्ति पूर्ण निष्ठा और लगन से कर्म करता है तो उसे किसी न किसी रूप में उसका फल अवश्य मिलता है। इतना ही नहीं लक्ष्य को प्राप्त करने की ललक जितनी तीव्र होती है, सफलता भी उतनी ही शानदार होती है। आज हम एक ऐसे व्यक्तित्व से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी लगन और धैर्य से बेमिसाल सफलता प्राप्त कर यह साबित कर दिया कि इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है।
बीआर शेट्टी आज भले ही 20 हज़ार करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति के साथ दुनिया के नामचीन उद्योगपति की सूची में शामिल हैं लेकिन उनका सफ़र महज 468 रुपये से शुरू हुआ था। कर्नाटक के उडुपी में एक बेहद ही सामान्य परिवार में जन्में शेट्टी को गरीबी और संघर्ष विरासत में मिली। उन्हें बचपन में ही इस बात का बखूबी अहसास हो चुका था कि आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा ही सबसे बड़ा हथियार है। सरकारी स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फार्मेसी में डिग्री लेने का फैसला किया। लेकिन आर्थिक बाधाओं ने एक बार फिर उनके सपने पर पानी फेर दिया। शेट्टी ने छोटे-मोटे काम करते हुए परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने के साथ-साथ खुद की डिग्री भी सफलतापूर्वक पूरी की।

डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने उडुपी नगर परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने उचित स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध कराने, ठोस सड़कों, स्कूलों, भूमिगत जल निकासी और सेप्टिक टैंक का निर्माण कराने के लिए काम किया, जिससे समुदाय के भीतर स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हुई। नगर परिषद के सेनिटेशन के लिए काम करते-करते उन पर 50 हजार रुपए का कर्ज हो गया। कर्ज की भरपाई के लिए उन्होंने इधर-उधर हाथ-पांव मारें लेकिन हर तरफ निराशा हाथ लगी। अंत में साल 1973 में उन्होंने रोजगार की तलाश में देश छोड़ यूएई की ओर रुख किया।
जेब में चंद रूपये लेकर जब शेट्टी यूएई पहुंचे तो उन्हें वहां भी कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। किसी अनजान शहर में नौकरी तो दूर सर छुपाने के लिए छत ढूंढने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसी दौरान डॉ. इस्माइल फहीमी उनकी जिंदगी में फरिश्ता बनकर आए। उन्होंने उन्हें शुरुआत में हर संभव मदद मुहैया कराई। देश के पहले चिकित्सकीय प्रतिनिधि के रूप में दो वर्ष तक काम करने के बाद अपने सेविंग्स के पैसे से साल 1975 में शेट्टी एनएमसी निओ फार्मा के नाम से खुद की कंपनी शुरू की। शेट्टी ने अपना पहला क्लीनिक खोला जो सभी सुविधाओं के परिपूर्ण थी। उन्होंने छोटे स्तर से शुरुआत कर धीरे-धीरे अपने कारोबार का विस्तार करने शुरू कर दिए। आज यह कंपनी संयुक्त अरब अमीरात में सबसे बड़ा निजी हेल्थकेयर प्रदाता बन गया, जो कि ओमान, स्पेन, इटली, डेनमार्क, कोलम्बिया और ब्राजील समेत कई अन्य देशों में फैल चुकी है।
शेट्टी को उनकी दमदार रणनीति और कठिन मेहनत के लिए जाना जाता है। अपने कारोबार का विस्तार करने के उद्येश्य से 2014 में उनकी बीआर शेट्टी प्राइवेट इक्विटी ग्रुप ने अपैक्स पार्टनर्स से ट्रेवलेक्स को 9800 करोड़ रुपए में खरीदा लिया। 30 से ज्यादा देशों में अपनी सफलता का डंका बजाते हुए शेट्टी आज 40 हजार से भी ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं।

आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि शेट्टी ने महाकाव्य महाभारत पर 1000 करोड़ रुपए की लागत से फिल्म बनाने का ऐलान कर पूरी दुनिया में सुर्खियाँ बटोरी थी। शेट्टी आज दुनिया के सबसे सफल उद्योगपति की सूची में शुमार कर रहे हैं। इनकी सफलता से हमें यह सीख मिलती है कि यदि दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो इस दुनिया में सबकुछ संभव है।
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