50 रुपये की मजदूरी से 15 करोड़ का कारोबार स्थापित करने वाले हरियाणा के एक युवक की कहानी

लोगों के पास कठिन समय की अपनी व्याख्या है, ज्यादातर लोगों के लिए – कठिन समय उनकी अक्षमता को छिपाने के लिए सिर्फ एक और बहाना है, वहीं कुछ असाधारण लोगों के लिए यही कठिन समय सफल होने का कारण है। जीवन जीने के तरीके को नया बनाने और नए कौशल को सीखने की क्षमता ही एक सफल जीवन की कुंजी है। हमारी आज की कहानी के हीरो अरविंद ने इसी तथ्य को चरितार्थ का दिखाया है।

हरियाणा के रोहतक में जन्में अरविंद के पिता एक छोटे स्तर के सिविल ठेकेदार थे। सामान्य जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहे परिवार की किस्मत और खराब तब हो गयी, जब उनके पिता के व्यवसाय में काफी नुकसान हो गया। उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा और पूरा परिवार एक कमरे वाले घर में शिफ्ट हो गया। अरविंद दो भाई-बहनों और अपने माता-पिता के साथ इसी छोटे से कमरे में रहा करते थे। परिवार की दयनीय आर्थिक परिस्थिति ने उन्हें बेहद कम उम्र में ही नौकरी करने के लिए विवश कर दिया।

वर्ष 2001 में सोलह वर्ष की आयु में, अरविंद ने दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना शुरू किया। प्रतिदिन 50 रुपये की दैनिक आय ने उनकी व्यक्तिगत वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद की और परिवार को भी समय पर सहायता मिली। जीवन कठिन था लेकिन अरविंद हमेशा अपने पास जो कुछ भी था, उससे खुश रहे। हालांकि, वह अपने परिवार की स्थिति देख बेहद निराश थे। अपने परिवार के भाग्य को बदलने की तीव्र इच्छा अरविंद के अंदर विकसित हो रही थी – उन्होंने अलग-अलग तरह की कई छोटी नौकरियों के साथ प्रयोग किया।

बीस साल की उम्र तक, अरविंद ने संगीत में कुछ रुचि विकसित की और कुछ स्थानीय संगीतकारों के साथ दोस्ती की। दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद, वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर डीजे पार्टियों के लिए निकल जाते थे। रोहतक में उन दिनों डीजे का नया चलन था, और लोग सभी छोटी-बड़ी पार्टियों में डीजे किराए पर लिया करते थे। अरविंद को डीजेइंग का पेशा काफी आकर्षक लगा, साथ ही उन्होंने संगीत में अपनी रुचि को बढ़ाते हुए पर्याप्त गुर सीखे। धीरे-धीरे डीजे पार्टियों में उनकी माँग बढ़ती गयी, और बहुत जल्द, उन्होंने डीजे की कला में महारत हासिल कर ली। लगभग एक दशक तक, अरविंद रोहतक और आसपास के क्षेत्रों में सबसे लोकप्रिय डीजे में से एक बने रहे। उन्होंने बराबर मात्रा में पैसा और प्रतिष्ठा अर्जित की।

डीजे की दुनिया में कामयाबी हासिल करने के बावजूद, अरविंद नए व्यावसायिक क्षेत्रों के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे। वर्ष 2013 में, दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रहे कार्यक्रम में ढांचा गिरने से हुई दुर्घटना के बारे में उन्हें पता चला। इस दुर्घटना ने उन्हें इस तरह के आयोजनों में एक बेहतर एल्यूमीनियम ट्रस (संरचना) का उपयोग करने की आवश्यकता से अवगत कराया। अरविंद को इवेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्री के कई लोग जानते थे। उन्होंने इस क्षेत्र में एक बड़ी कारोबारी संभावना को देखा और जल्द ही दिल्ली में एल्यूमीनियम ट्रस के एक व्यापारी से मिले।

अरविंद ने केनफ़ोलिओज़ के साथ विशेष साक्षात्कार में बताया कि बेहतर गुणवत्ता वाले एल्यूमीनियम ट्रस के बारे में पूछे जाने पर, दिल्ली में एक व्यापारी ने मुझ पर हंसते हुए कहा कि लगभग सभी एल्यूमीनियम ट्रस चीन से आयात किए जाते हैं और कोई भी भारतीय कंपनी इस तरह के ट्रस नहीं बना सकती है। इस बात को सुनकर वह बेहद निराश हुए और भारत में बेहतर एल्यूमीनियम ट्रस बनाने के लिए दृढ़-संकल्प लिया।

अरविंद ने एल्यूमीनियम ट्रस पर शोध शुरू किया और शुरुआती शोध में उन्हें लगभग 10 लाख रुपये खर्च हुए। व्यवसाय की बेहतर समझ के बाद, उन्होंने एक व्यवसाय ऋण लिया और एल्युमिनियम ट्रस बनाने के लिए एक छोटी विनिर्माण सुविधा स्थापित की। उनका पहला ट्रस 9 महीने बाद तैयार हुआ था और उन्होंने दिल्ली में उसी व्यापारी को बुलाया जिसने शुरू में उनके विचार का मजाक उड़ाया था। व्यापारी ने उसे दिल्ली में एक प्रदर्शनी में अपने ट्रस का प्रदर्शन करने की सलाह दी। अरविंद ने अपने ट्रस को दिल्ली पहुँचाया और प्रदर्शनी में दिखाया। उनकी कड़ी मेहनत कामयाब हुई, अरविंद को उनके उत्पाद के लिए अच्छी प्रतिक्रिया और सराहना मिली। तब से, अरविंद की कंपनी डेविल ट्रस छोटे-से-बड़े कार्यक्रमों के लिए ट्रस की आपूर्ति से लेकर ढाँचा तैयार करने तक का काम करती है। उनके पास भारत की कई प्रमुख और प्रसिद्ध हस्तियों और कई इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों के ग्राहक हैं। राजनीतिक से लेकर कॉर्पोरेट और मनोरंजनकर्ताओं से लेकर दार्शनिकों तक – अरविंद के ट्रस सभी इवेंट्स में इस्तेमाल किए जाते। 2019 में, डेविल्स ट्रस को भारत में सर्वश्रेष्ठ ट्रसिंग कंपनी का पुरस्कार मिला।

चीन से आयातित ट्रस सस्ता है लेकिन गुणवत्ता कम है। हमारा ट्रस मूल्य और गुणवत्ता का एक आदर्श संतुलन है। गुणवत्ता और लागत के इसी संतुलन ने हमें 15 करोड़ रुपये का कारोबार करने में मदद की है – अरविंद

कोविद-19 के आसपास के कठिन समय में भी अरविंद ने वही सकारात्मक रवैया अपनाया है। उनकी कंपनी ने कोविद-19 संकट के दौरान अपने किसी भी कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया है। अरविंद को लगता है कि जल्द ही स्थिति में सुधार होगा, और एक बार फिर सबकुछ सुचारु रूप से होगा।

अरविन्द अपने जीवन में दो चीजों को महत्वपूर्ण मानते हैं – दृढ़ता और किसी चीज को कर दिखाने की हठ। उनका मानना है कि आपके सपने चाहे कितने भी अवास्तविक क्यों न हों, यदि पूरी दृढ़ता से लक्ष्य का पीछा किया जाए तो मंजिल अवश्य हासिल होगी।

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