ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं? तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा!
आज की कहानी के नायक पर बशीर बद्र साहब का यह शेर एकदम सटीक बैठता है। अगर मजबूत इरादा हो और साथ में कड़ी मेहनत, तो फिर करिश्मा तो हो कर ही रहता है। कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है मुहम्मद सिराज नाम के शख्स ने। साल 2017 में हुई आईपीएल की नीलामी मुहम्मद सिराज के लिए उनके नाम के मतलब के अनुरूप, चमकीली खुशियां लेकर आई। एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में पले-बढ़े सिराज को सनराइज़र हैदराबाद ने 2.6 करोड़ में ख़रीदा था। यह अपने आप में एक अविश्वसनीय उपलब्धि है। फिर आईपीएल 2018 में उन्हें आरसीबी की टीम ने 2.6 करोड़ में ख़रीदा था।

सिराज के खेल के सफ़र की शुरुआत टेनिस बॉल-क्रिकेट के साथ हुई क्योंकि ड्यूस या कॉर्क की गेंदें सिराज के लिए कुछ ज़्यादा ही मंहगी थीं। ऑटो ड्राइवर के इस बेटे ने अपने परिवार की मदद से ऐसी ऊंचाइयों को छुआ जिनका ज़िक्र सिर्फ मिसालों में ही मिल सकता है। कम आमदनी के बावजूद भी उनके पिता ने अपने बेटे को बेस्ट बॉलर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तीन साल से भी कम समय में सिराज असली क्रिकेट बॉल से खेलकर राईट-आर्म पेस बॉलर के रूप में उभर कर आए।
आज मैं याद करता हूँ अपना पहला क्रिकेट मैच जो एक क्लब मैच था। इस मैच में मेरे मामा टीम के कप्तान थे। 25 ओवर के इस खेल में मैंने 20 रन देकर 9 विकेट लिए। मेरे मामा बहुत खुश हुए और उन्होंने मुझे 500 रुपये पुरस्कार के रूप में दिए। यह मेरे लिए अद्भुत अनुभव रहा। लेकिन आज जब नीलामी में मुझे 2.6 करोड़ में लिया गया, मैं तो पूरी तरह से सन्न रह गया था।
सनराइज़र हैदराबाद के लिए चुने जाने के बाद सबसे पहले उनके दिमाग में एक ही बात आई कि वह अपने माता-पिता को इस बुरी जिंदगी से निकालेंगे और उनके लिए हैदराबाद में एक अच्छी सोसाइटी में शानदार आशियाना खरीदेंगे। सिराज कहते हैं कि “मेरे वालिद साब ने मेरे लिए बहुत मेहनत की है। वह बहुत समय से ऑटो चला रहे हैं परंतु उन्होंने कभी भी घर के आर्थिक स्थिति का हम पर प्रभाव नहीं पड़ने दिया।
जब सिराज को चारमीनार क्रिकेट क्लब की तरफ से खेलने का मौका मिला था तब उनके पास मैच खेलने के लिए जूते भी नहीं थे। परंतु फिर भी उन्होंने अपना 100 फीसदी दिया और नतीजा भी उनके मन के मुताबिक ही मिला, उन्हें रणजी ट्रॉफी के लिए चुन लिया गया। सिराज दाहिने हाथ के तेज गेंदबाज है। अबतक इन्होंने अपने करियर में 11 फर्स्ट क्लास मैच खेलें हैं, जिसमें कुल 44 विकेट लिए हैं। 52 रन देकर 5 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। अपनी पेस और बाउंस बोलिंग से इन्होंने सभी को स्तब्ध कर दिया।

वह अपने पुराने दिन याद करते हुए बताते हैं कि उनकी अम्मी उन्हें पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए बहुत डांटती थी और इसके लिए वे बार-बार उनके बड़े भाई का उदाहरण देती थी। आज उनके भाई एक आईटी इंजीनियर हैं और सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी करते हैं। लेकिन अब उनकी अम्मी सिराज के भविष्य के लिए परेशान नहीं हैं क्योंकि वह जानतीं हैं कि उनका बेटा आज बड़े शिखर पर पहुँच गया है।
जो लड़का हैदराबाद की तंग गलियों में रह कर बड़ा हुआ, आज विश्व-क्रिकेट में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उनके प्रशंसक स्टैडियम में उनके नाम का जाप सा करते सुनाई देते हैं । यह सब संभव हो पाया है उनके कठिन परिश्रम और उनकी प्रतिभा से। इसीलिए तो कहा गया है कि अगर इरादा पक्का हो तो मंजिल मिल ही जाती है।