ईश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति को किसी ना किसी ख़ूबी से नवाज़ा हैं बस फर्क सिर्फ इतना है की कुछ लोग अपनी खूबियों को तराशने का जुनून पाल लेते है। एक बात तो सच है कि जीवन में जिनका लक्ष्य निर्धारित होता है वही सफलता का स्वाद चख पाते हैं और उनके हुनर के जादू से कोई नहीं बच पाता है।
आपको याद होगा बचपन में हमारे स्कूलों में जादू के खेल दिखाने जादूगर आया करते थे और सभी बच्चें उनकी कलाओं को देखकर घर पहुँचते ही आबरा का डाबरा करने लग जाते थे। आज भी हमारे ज़हन में जादू शब्द सुनकर एक बड़े से टोपी वाले लम्बी मूछों वाले आदमी की छवि बन जाती है लेकिन हमारी आज की शख़्सियत ऐसी है जिन्होंने उस छवि को बिलकुल ही बदल कर रख दिया है। हम बात कर रहे हैं देश की एकमात्र जादूगरनी सुहानी शाह की। जो आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने जादू के शो और कॉउंसलिंग की टेक्निक के लिए जानी जाती हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महज़ पहली कक्षा तक की पढ़ाई करने वाली सुहानी अंग्रेजी में पांच किताबें भी लिख चुकी हैं।

उनके मासूम, खूबसूरत चेहरे ने ना सिर्फ जादूगर की छवि को बदला है बल्कि सुहानी के हुनर ने जादू की परिभाषा को ही बदल दिया है। सुहानी का जन्म राजस्थान के उदयपुर में हुआ और उसके कुछ समय बाद ही व्यवसाय के चलते उनका परिवार अहमदाबाद जा बसा। बचपन से ही सुहानी की एक ख़ूबी रही है की वो जिस काम को करती है पूरे मन से एकाग्रता के साथ करती हैं इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की सुहानी मैजिशियन बनने से पहले राज्य स्तर की स्विमर रह चुकी हैं।
केनफ़ोलिओज़ से विशेष बातचीत के दौरान सुहानी ने बताया कि “मैं बचपन से ही हर नयी चीज़ को ट्राय करती रहती थी। एक बार मैंने टीवी पर एक मैजिक शो देखा और जाकर अपने पापा को बोला की मुझे भी मैजिक करना है। उस समय तो पापा को लगा कि मैं छोटी हूँ और ऐसे ही बोल रही हूँ लेकिन जब मैंने दो तीन बार यही बात उनसे कही तो उन्हें भी लगा कि मैं जादूगर बनने को लेकर गंभीर हूँ। मेरे मम्मी पापा ने हमेशा मेरा साथ दिया है और मेरे मैजिशियन बनने के निर्णय का भी उन्होंने स्वागत किया। मेरे पापा हमेशा एक बात मुझे कहा करते कि जो भी करना है बड़ा करो जादू भी करना है तो बड़े मैजिक शो करो और स्विमिंग भी करनी है तो चैंपियन बनो, अपना लक्ष्य हमेशा बड़ा रखो।”
परिवार का साथ मिला तो सुहानी का आत्मविश्वास बढ़ा। उन्हें अपने परिवारवालों से एक बड़ी बात सीखने को मिली वह यह कि जो भी करो उसमें अपना सौ फीसदी दो। अगर आप उसे अच्छे से करने में सक्षम नहीं हैं तो उस काम को मत करो। सुहानी के माता-पिता ने उनके मैजिशियन बनने में बहुत सहायता की सबसे पहले उन्होंने स्टेज का सामान लाकर सेट निर्माण करवाया साथ ही कुछ असिस्टेंट भी रखें जो उनकी मदद कर सकें। 6 महीने के अभ्यास के बाद मात्र 7 साल की उम्र में सुहानी ने 22 अक्टूबर 1997 में पहला मैजिक शो अहमदाबाद में आयोजित किया और उसके मुख्य अतिथि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला रहे। सुहानी के पहले शो ने ही उन्हें खासा लोकप्रिय बना दिया। मीडिया ने भी पूरा सहयोग किया और इसी के साथ देश को अपनी पहली महिला जादूगर मिल गई।
उस शो की सफलता के बाद सुहानी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सुहानी बताती हैं कि “मैंने मैजिक की कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली है क्योंकि हमारे देश में अभी इस तरह की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। मेरी माँ ने मेरा बहुत साथ दिया वैसे उनका जादू से कोई लेना-देना नहीं है वो एक डिज़ाइनर हैं। मैंने म्यूज़िक मैन, असिस्टेंट्स, कैमरामैन सभी से कुछ ना कुछ सीखा है।”
लेकिन कहते हैं हर चीज़ के दो पहलू होते हैं कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है जादू को लेकर सुहानी इतनी गम्भीर थी कि हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखने के लिए उन्हें अपनी स्कूल की पढ़ाई छोड़नी पड़ती, साथ ही वो अपने शो में व्यस्त रहने के कारण स्कूल भी नहीं जा पा रही थी। ऎसे में लोगों का नकारात्मक प्रतिक्रिया करना लाज़मी था और उस समय तक जादूगरी को इतना सम्मान जनक क्षेत्र भी नहीं माना जाता था। सुहानी बताती हैं कि “लोगों की बातें तो चलती रहती थी लेकिन हम अपने काम को लेकर फोकस थे। मेरा ज्यादातर समय रिहर्सल में गुजरता था और सबसे पहले मैंने आँखों पर पट्टी बाँधकर पढ़ना सीखा था तो वो मेरी पहली ट्रिक थी जिसे लेकर मैं बहुत उत्साहित थी।
सुहानी एक जादूगर है लेकिन वो लोगों के अंधविश्वास को खत्म करना चाहती हैं। वो चाहती हैं कि लोग अपने आप पर यकीन करना सीखें। लोगों की समस्याओं का हल काउंसलिंग के माध्यम से करती हैं। उनका मनाना है कि मुश्किल समय सभी के जीवन में आता है और वही मुश्किल समय आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है।
सुहानी 19 सालों से लगातार देश-विदेश में जादू का खेल दिखा रही है साथ थी कई देशों में सेमिनार में मुख्य वक्ता रह चुकी है। उन्होंने मैजिशियन बनने के लिए खुद ही कई तरह की ट्रिक ईजाद की है। सुहानी पल भर में ही स्टेज पर लड़की को गायब कर देती है और तो और उनके शो के दौरान सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र रैंप वॉक होता है जिसमें मॉडल के कपड़े पल भर में ही चलते चलते बदल जाते हैं। वह मैजिशियन होने के साथ-साथ सम्मोहन करना भी जानती है जिसके माध्यम से वे लोगों के तनाव का निवारण करती हैं।
सुहानी कॉरपोरेट ट्रेनर के रूप में भी कार्य करती हैं जहाँ वे मेडिटेशन के माध्यम से कर्मचारियों की चिंताओं और मेंटल स्ट्रेस में राहत प्रदान करने की पद्धतियाँ बताती है। जादू, मेडिटेशन आदि करते कराते पढ़ाई का समय ही नहीं मिला लेकिन वो बखूबी जानती हैं कि शिक्षा सबसे आवश्यक है।

सुहानी बताती हैं कि “एक दिन मेरे पापा ने आकर कहा कि तुम्हें अब इतना अनुभव हो चुका है तो तुम एक किताब क्यों नहीं लिख लेती। सुहानी के साथ समस्या यह थी कि उन्हें बोलना तो आता था लेकिन पढ़ना और लिखना नहीं तभी उन्होंने धीरे-धीरे पढ़ना और लिखना शुरु किया। अपने टीम के सदस्यों से हर दिन कुछ ना कुछ सीखती हुई वह अपने शब्द ज्ञान को बढ़ाती गईं और आज एक बेस्ट सेलर लेखिका बन गई हैं।
सुहानी फिलहाल गोआ में रहती हैं और वहीं अपना मेडिटेशन सेंटर भी संचालित करती हैं जहाँ देश विदेश के लोग मानसिक चिंताओं से दूर राहत और शांति प्राप्त करने आते हैं। इतना ही सुहानी की प्रत्येक राजनीतिक गतिविधि पर भी ध्यान रहता है और वो बेबाकी के साथ अपनी राय रखना भी जानती हैं।
सुहानी का मानना है कि “अगर आप किसी में विश्वास करते हैंं, तो उसका असर भी दिखाई देता हैं फिर चाहे आप उसे जादू, आस्था या फिर अंध विश्वास ही क्यों नही मानते हो। जादू कोई चमत्कार नहीं बल्कि हाथ की सफाई व कला है। जिसे उन्होंने काफी पहले सीखा था। बाद में रुचि के अनुसार उसमें लगातार और बेहतर कर रही हैं। यह अभ्यास के कारण ही संभव हो पाया है।”
सुहानी आज देश की पहली और सबसे छोटी जादूगर है और ये सफलता उन्होंने निरंतर अभ्यास दृढ़ निश्चय से हासिल की है।
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