हममें से हर किसी का अपना एक सपना होता है जिसे हम सच होता देखना चाहते हैं। कुछ लोगों को अपने सपनों पर गहराई के साथ विश्वास होता है और वे उसके परिणाम के बारे में बिना सोचे इस विश्वास के साथ जीवन जीते हैं कि उनका यह सपना ज़रूर पूरा होगा। ऐसी सोच रखने वाले चंद लोग ही होते हैं, बाक़ी लोग जोख़िम के आंकलन में ही लगे रहते हैं और कुछ भी नया शुरू करने के पहले अपने लिए एक सुरक्षा-जाल बना लेते हैं।
आज की कहानी के नायक हैं दीपक अग्रवाल। वे बहुत भाग्यशाली हैं और दूरदर्शी भी, जिन्होंने जल्द ही यह महसूस कर लिया कि उनके पसंद का क्षेत्र मार्केटिंग बिज़नेस है। इससे पहले कि वे अपने सपने को आगे लेकर जाएँ उन्हें एक स्थिर करियर की जरूरत थी। उसे पाने के लिए उन्होंने पहले अपनी शिक्षा पूरी की और 2011 में चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गए। उन्होंने एर्न्स्ट एंड यंग कंपनी में इंटर्नशिप की और सीए बनने के बाद उन्होंने एक साल और वहां काम भी किया। एक साल तक काम करने के बाद दीपक ने 2011 में अपना खुद का बिज़नेस शुरू किया। उन्होंने अपने जुनून के साथ जाना तय किया और 2013 में ओनेक्स सोलूशन्स की शुरूआत की।

कोलकाता में जन्मे और सेंट-ज़ेवियर कॉलेज से पढ़े दीपक अपनी कंपनी के बारे में केनफ़ोलिओज़ से विशेष वार्तालाप में बताया — “ ओनेक्स सोलूशन्स प्राइवेट लिमिटेड एक युवा कंपनी है जिसने डिजिटल मार्केट में अपनी छाप छोड़ी है। हमने ग्राहकों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए नई टेक्नोलॉजी, रचनात्मकता,और विश्लेषणात्मक विशेषज्ञता के साथ प्रोडक्ट ब्रांडिंग में सुधार किया है और मोबाइल मार्केटिंग के तहत सेवा प्रदान करते हैं। हम कुछ राष्ट्रीय ब्रांड्स जैसे ओला कैब, शॉपर्स-स्टॉप, एशियन पेंट्स, केएफसी, टेक महिंद्रा के साथ काम कर रहे हैं।”
दीपक अपने पिता को अपना सबसे बड़ी प्रेरणास्रोत मानते हैं। जब दीपक ने बाजार में अपने कदम रखे तब उन्होंने देखा कि यह इतना आसान नहीं है। सबसे बड़ी बाधा यह थी कि ग्राहकों के साथ कैसे संपर्क बढ़ाया जाये। कैसे बल्क एसऍमएस के ज़रिये ग्राहकों तक पहुंचा जाये और अपने बिज़नेस को बढ़ाया जाये। दूसरी रूकावट यह थी कि लोग नई उभरती हुई टेक्नोलॉजी के अवसर के बारे में जानते नहीं थे इसलिए उनसे संपर्क बनाना कठिन हो गया।
यह समय दीपक के लिए थोड़ा कठिन गुजरा और इसने दीपक के दृढ़ निश्चय की अच्छी-खासी परीक्षा भी ले डाली। उन्हें यह सोचना पड़ रहा था कि कैसे बाजार में अपनी जगह बनानी है, जब आप सारा काम खुद कर रहे हो। समय परेशानी भरा जरूर रहा परन्तु दीपक ने कभी हार नहीं मानी। दीपक पुराने दिनों को याद करते हुए बताते हैं,
“जब मैं सातवीं कक्षा में था तभी मेरी परिकल्पना थी कि मैं अपना स्वयं का आईपीओ लाऊं। इस परिकल्पना ने मुझे अपनी कंपनी को सफल बनाने के लिए प्रेरित किया और अगले पांच सालों के भीतर शेयर धारकों के लिए आईपीओ लाने का प्रस्ताव है।”
उनकी कंपनी ओनेक्स सॉल्यूशंस स्वयं के म्यूच्यूअल फंड बचत के पैसों से शुरू की तब तक जब तक कि कैश फ्लो शुरू न हो गया। उतार-चढ़ाव के बावजूद उनका संघर्ष जारी था पर भाग्य ने तब करवट ली जब जीवन-साथी के रूप में उन्हें एक सी.ए. पत्नी मिली। उन्होंने डायरेक्टर एकाउंट्स का रोल अपने हाथ में ले लिया।

उनकी कंपनी में 18 कर्मचारी हैं और उनका ऑफिस कोलकाता, मुंबई, एनसीआर और दिल्ली में स्थित है। इस साल उनकी कंपनी का रेवेन्यू लगभग 3 से साढ़े 3 करोड़ तक होने की सम्भावना है। हमेशा कुछ नया करते रहने से और अपने काम के प्रति ईमानदार होने से उन्हें ऊर्जा प्राप्त होती है। उनका बिज़नेस फ्रेंचाइजी के जरिये फ़ैल रहा है। उनका बिज़नेस बड़ोदा और गुवाहाटी में भी बढ़ रहा है।
“पिछले साल हमने यह तय किया था कि फ्रेंचाइजी के जरिये जो हम अपनी सफलता को साझा करेंगे और 80 से अधिक लोग इस सफलता यात्रा में जुड़े। फ़िलहाल हमने तीन और नए लोगों को अभी कुछ महीने पहले ही जोड़ा है और उनसे हमें काफ़ी अच्छी प्रतिक्रिया भी मिली है।” — दीपक
पाठकों के लिए उनका यही मैसेज है “मुझे अपने सपने को पाने के लिए सिर्फ मेरे साहस का सहारा था और अगर आपका भी कोई लक्ष्य है तो आगे बढ़ें और हर पायदान पर अपने विश्वास को बनाये रखें।”
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