दो दोस्त, एक आइडिया, नौकरी छोड़ शुरू किया व्यवसाय,आज है 44000 करोड़ का साम्राज्य

यह कहानी है देश के एक सफल युवा उद्यमी की, जिन्होंने कुछ नया करते हुए देश के परिवहन उद्योग में क्रांति ला दी। इस शख्स ने भारतीय शहरों में कैब की सुविधाएं मुहैया करा अरबों डॉलर की कंपनी खड़ी कर ली। शुरू से ही अपना कारोबार शुरू करने की चाह में इस शख्स ने हमेशा नए-नए विकल्प तलाशते रहे और अंत में एक ऐसा वेंचर लांच किया जो देश की एक बड़ी आबादी की एक मुख्य समस्या का निदान था।

हम बात कर रहे हैं देश की सबसे बड़ी कैब कंपनी ओलाकैब्स की आधारशिला रखने वाले पहली पीढ़ी के उद्यमी भविष अग्रवाल की सफलता के बारे में। लुधियाना के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में पैदा लिए भविष बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल आया करते थे। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने देश की प्रतिष्ठित परीक्षा ‘संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE)’ को क्रैक करते हुए भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान, मुंबई से कंप्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।

सफलतापूर्वक इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद भविष ने माइक्रोसॉफ्ट में बतौर रिसर्च एसोसिएट की नौकरी कर ली। माइक्रोसॉफ्ट में दो साल की नौकरी के दौरान भविष ने दो पेटेंट फाइल किये और तीन पेपर्स इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित भी करवाये। इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद उन्होंने इस नौकरी को छोड़ अपना कारोबार शुरू करने की योजना बनाई।

भविष कहते हैं कि मैं हमेशा से ही खुद का कुछ शुरू करना चाहता था और यही वजह थी कि मैं विकल्प तलाश रहा था। लेकिन साथ ही मैं सोसायटी की किसी समस्या का समाधान प्रस्तुत करने के बारे में भी सोचा करता था।

नए कारोबार को शुरू करने के लिए भविष अपने आस-पास की तमाम संभावनाओं को तलाशने शुरू कर दिए। इसी दौरान एक दिन बंगलौर में एक ट्रिप के दौरान उन्हें ड्राईवर के साथ कुछ कहा-सुनी हो गई और फिर इस ख़राब अनुभव ने भविष को कैब से संबंधित कोई कारोबार शुरू करने की आइडिया प्रदान की।

इस आइडिया के साथ आगे पढ़ते हुए भविष ने अपने मित्र अंकित भाटी के साथ मिलकर साल 2010 में ओला कैब्स की आधारशिला रखी। कुछ नया करने की चाह में भविष ने अपने टेक्नोलॉजी बैकग्राउंड का इस्तेमाल करते हुए कैब सर्विसेज और टेक्नोलॉजी को एक साथ जोड़ने के बारे में सोचा। और इनका यह आइडिया बेहद क्रांतिकारी साबित हुआ। ग्राहकों को वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए बेहद प्रति किलोमीटर की दर पर वातानाकूलित गाड़ी मुहैया करा भविष ने देश के परिवहन उद्योग में क्रांति ला दी।

साल 2014 तक कंपनी ने देश के 100 शहरों में 200,000 से अधिक कारों के एक नेटवर्क का विस्तार कर लिया। निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करते हुए ओला कैब्स ने जापान की सॉफ्टबैंक से कई मिलियन की फंडिंग उठाई। अपने साम्राज्य का विस्तार करते हुए ओला कैब्स ने मार्च 2015 में बंगलौर आधारित टैक्सी सेवा टैक्सीफॉरस्योर का अधिग्रहण किया। इतना ही नहीं नवंबर 2015 तक ओला ने जियोटैग नाम की एक कंपनी का अधिग्रहण करते हुए बस-शटल सेवा भी आरंभ की। साल 2019 में, ओला ने ओला इलेक्ट्रिक के बैनर तले एक नई कंपनी की आधारशिला रखी। इस कंपनी के तहत ओला अब इलेक्ट्रिक स्कूटर की मैन्‍युफैक्‍चरिंग में उतरने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी अपना पहला ई-स्कूटर जनवरी 2021 तक बाजार में पेश कर सकती है।

आज ओला कैब्स की सर्विसेज देश के लगभग सभी बड़े और छोटे शहरों में उपलब्ध है। देश की सबसे बड़ी कैब सर्विस मुहैया कराने वाली कंपनी बनते हुए ओला अब ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और यूनाइटेड किंगडम के 250 से भी ज्यादा शहरों में अपनी सेवाओं का विस्तार कर चुका है। वर्तमान में ओला कैब्स की मार्केट वैल्यू 44 हज़ार करोड़ के पार है।

फोर्ब्स की 30 प्रभावशाली उद्यमियों की सूचि में शामिल होने वाले भविष अग्रवाल ने आज से कुछ साल पहले अपनी अच्छी-खासी नौकरी को अलविदा करने की हिम्मत दिखाते हुए कारोबार में हाथ आजमाई और आज वह देश के एक सबसे सफल स्टार्टअप के कर्ता-धर्ता हैं। उनकी कहानी वाकई में युवाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती है।

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