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दो युवाओं ने शुरू किया एक ऐसा स्टार्टअप, जहाँ बिना पैसों के आप कुछ भी खरीद सकते

वस्तु विनिमय प्रणाली का उद्भव इतिहास के उस हिस्से से शुरू हुआ जब पैसे की कोई संकल्पना ही नहीं थी। लोग सरल तरीके से सामान और सेवा के बदले चीज़े देते थे जो उनकी जरूरत की होती थी। हमारे पूर्वज एक लम्बे समय से मूल वस्तु विनिमय प्रणाली या बार्टर सिस्टम के साथ व्यापार करने में सक्षम थे। वस्तु इस प्रणाली में एक बड़ी सीमा थी कि कुछ सामान और सेवा के लिए हम उसी मूल्य का चीज़ वापस नहीं कर पाते थे।

इस पुरातन अभ्यास को पुनर्जीवित करने के लिए पूजा भयाना और साहिल ढींगरा ने वेंचर की स्थापना की। कुछ सामान और सेवा के व्यापार को आसान बनाने के लिए उनकी सोच वस्तु विनिमय प्रणाली को फिर से शुरू करने की थी।

पूजा अपने स्कूल के दोस्त साहिल से एक कॉफ़ी शॉप में मिलती है। उन्होंने साहिल से कहा कि उनके पास एक टेबलेट है परन्तु उसका सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। पूजा ने साहिल को सलाह दी कि वे इसे अपने दोस्त से ऐक्सचेंज कर ले और साहिल को यह आइडिया पसंद आ गया। उन्होंने सितम्बर 2015 में एक फेसबुक ग्रुप शुरू किया। यह उन्हें व्यवहारिक लग रहा था कि इसमें पैसे को शामिल नहीं किया गया था। पूजा और साहिल दोनों ने मिलकर “लेट्स बार्टर इंडिया” नामक एक सफल बिज़नेस की शुरूआत की।

“मेरे लिए अपने कॉर्पोरेट नौकरी को छोड़ने का यह कारण बनी और जब मैंने स्टार्ट-अप दुनिया में कदम रखा तो मेरी ख़ुशी की तलाश पूरी हुई। यह सुनने में बड़ा सतही लगता है, मैंने नौकरी छोड़ दी क्योंकि मुझे अपना खुद का काम मिल गया था जो मुझे ख़ुशी दे रहा था।” — पूजा

एक बार इस अवधारणा को मान्यता मिली तब उन्होंने दोस्तों और परिवार वालों से ऐप बनाने के लिए फण्ड की मदद ली। लेट्स बार्टर इंडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसमें भारतीय आगे आकर अपने सामान और सेवा का दूसरे भारतीय के साथ लेनदेन करते हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा समुदाय है जो फेसबुक और ऐप के द्वारा वस्तु विनिमय करता है। उनका यह विज़न है कि जिन व्यक्ति के पास अपनी जरूरतों के लिए खर्च करने को पैसा नहीं होता है वे आसानी और सुरक्षित तरीके से सामान जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, सर्विसेज, बुक्स, गेमिंग-कंसोल आदि का विनिमय कर सकते हैं। यह पूरे देश में और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के द्वारा भी पसंद किया गया है।

शुरूआत में लोगों को बार्टर का कॉन्सेप्ट समझाने और लोगों का विश्वास पाने के लिए बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। वे बताते हैं कि हमने उनके सिद्धांतों को स्कूल में पढ़ा था परन्तु असल जिंदगी में परिवर्तन एक समस्या थी। उन्होंने एक प्लेटफार्म तैयार किया जिसमें लोगों के सामने बार्टर सिद्धांत को सिद्ध किया गया और भविष्य में उसके प्रयोग के लिए लोगों को समझाया। इसकी प्रगति फेसबुक ग्रुप और ऐप दोनों के जरिये संभव हो पाया।

लेट्स बार्टर इंडिया एक छोटी सी टीम है जो एक परिवार से कम नहीं है। आज इस ग्रुप में 1,85,000 एक्टिव मेंबर्स हैं। वे देश-विदेश में रहने वाले भारतीयों को उनके सामान का विनिमय करने में मदद करते हैं और उनका सही मूल्य दिलाते हैं। उनका ऐप 10 हजार से भी ज्यादा बार डाउनलोड किये जा चुके हैं। उनका लक्ष्य है कि 2018 में वे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी इसकी शुरूआत करें। पूजा सभी को प्रेरित करते हुए कहती हैं कि सपने तब तक काम नहीं करते जब तक आप कुछ करना शुरू नहीं करते।

केनफ़ोलिओज़ को दिए अपने इंटरव्यू में पूजा कहती हैं “लेट्स बार्टर इंडिया की सबसे बड़ी उपलब्धि लोगों के जीवन में उसका प्रभाव है। हमारे ग्राहक अपनी बहुत सारी कहानियां साझा करते हैं कि उनके पास पैसे नहीं होने के बावजूद कैसे LBL उनकी मदद करता है। जैसे कि एक कहानी है जिसमें एक बनारस की घरेलु महिला अपने बच्चे के स्टेशनरी के लिए अपनी कुकिंग स्किल का विनिमय करती है, यही हमारी उपलब्धि है।”

पूजा भयाना ने अपनी स्कूलिंग डीपीएस मथुरा रोड से पूरी की और बीए में ग्रेजुएशन (विथ लिबरल कंसंट्रेशन इन मास कम्युनिकेशन) सिंगापुर से पूरा किया। वे एक आश्रित लड़की थीं और जिस तरह के आत्मविश्वास की उन्हें जरुरत थी वह उन्हें सिंगापूर में अपने ग्रेजुएशन के दौरान मिली। वे अलग-अलग तरह के लोगों से अलग-अलग कहानी के साथ मिलती हैं जो उन्हें एक खुले विचारों वाला बनाता है।

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