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निजी जरुरत के लिए बनाया था एक अनूठा यंत्र, करोड़ों लोग हुए प्रभावित, आज है 800 करोड़ का ब्रांड

सच ही कहा गया है आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। आज के सफलता की कहानी बिलकुल इसी तथ्य पर आधारित है एक ऐसे शख्स की है जिनकी निजी जरुरत के लिए बनाया गया एक उपकरण आज देश के करोड़ों लोगों को पीने के लिए शुद्ध जल का विकल्प मुहैया करा रहा है। घर में दूषित पानी के सप्लाई से इनके दो छोटे-छोटे बच्चे बीमार पड़ गये, फिर उन्होंने पानी का शुधिकरण यंत्र (वाटर प्यूरीफायर) लगाने का फैसला किया लेकिन लेकिन उपलब्ध विकल्पों ने निराश कर दिया। एक इंजिनियर होने के नाते अंत में इन्होंने खुद ही परिवार के लिए एक बेहतर शुद्ध पानी प्रणाली विकसित कर लिया। आज यही प्रणाली करोड़ों लोगों के घरों तक पहुँचती हुई 800 करोड़ रुपये के टर्नओवर के साथ देश की एक लोकप्रिय ब्रांड बन चुकी है।

आज हम बात कर रहे हैं वाटर प्‍यूरीफायर कंपनी केंट आरओ सिस्‍टम्‍स लिमिटेड की आधारशिला रखने वाले डॉ महेश गुप्ता की सफलता के बारे में। एक आईआईटी इंजीनियर होने के नाते गुप्ता ने कई वर्षों तक आयल इंडस्ट्री में काम किया। इंडस्ट्री में तजुर्बे और पैसे कमाने के बाद उन्होंने कारोबारी जगत में कदम रखने का फैसला लिया। देश की महारत्न कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में उप प्रबंधक के रूप में 11 साल काम करने के बाद साल 1988 में नौकरी से इस्तीफा देकर तेल की गुणवत्ता का परीक्षण से संबंधित एक व्यवसाय शुरू किया। शुरुआत में कंपनी अच्छी चली और उन्होंने 15 और लोगों को नौकरी पर रखा, लेकिन धीरे-धीरे नुकसान होते हुए बंद के कगार पर पहुँच गया।

उन्होंने किसी तरह 10 वर्ष तक कंपनी को चलाया। इसी दौरान दिल्ली स्थित इनके आवास में पीने के लिए शुद्ध पानी के सप्लाई के अभाव में इनके दोनों बेटे बीमार पड़ गये। गुप्ता ने वाटर प्‍यूरीफायर लगाने के लिए तमाम मौजूदा कंपनियों से संपर्क किया लेकिन उन्हें उपलब्ध विकल्पों में काफी खामियां दिखी। अंत में उन्होंने खुद की एक प्रणाली विकसित करने का फैसला किया और कुछ ही महीनों में एक बेहतर प्रणाली विकसित कर लिए। गुप्ता को यहाँ एक बड़ी कारोबारी संभावना भी नजर आई और अंत में उन्होंने अपनी 5 लाख की बची सेविंग्स से एक आरओ कंपनी की आधारशिला रखी।

दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन स्थित अपने घर में ही मौजूद छोटे से गैरेज में उन्होंने प्‍यूरीफायर डिज़ाइन करना आरम्भ किया। शुरुआत में गुप्ता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, इन्हें अकेले अपनी दोनों कंपनियों का प्रबंधन करना होता था। पहले वर्ष में बिक्री भी बेहद निराशाजनक ही रही, मुश्किल से महज 100 प्‍यूरीफायर ही बिक पाए। बिक्री कम होने की सबसे बड़ी वजह यह थी कि इनके प्‍यूरीफायर की कीमत करीबन 20,000 रुपये थी, वही बाज़ार में अन्य कंपनियों के प्‍यूरीफायर सिर्फ 5000 रुपये में उपलब्ध थे।

उन दिनों बाजार में उपलब्ध प्‍यूरीफायर पराबैंगनी (यूवी) तकनीक पर आधारित था, जो पानी में मौजूद बैक्टीरिया को मारता था। लेकिन पानी में घुले कई अन्य हानिकारक तत्त्व को इस तकनीक के द्वारा हटाया नहीं जा सकता था। गुप्ता ने इन अवांछनीय तत्वों को भंग का ख्याल रखते हुए एक बेहतर प्रणाली को विकसित किया। हालांकि उन्होंने गुणवत्ता के साथ-साथ मूल्य से भी समझौता नहीं किया।

डॉ गुप्ता ने मूल्य कम की बजाय अपने प्रोडक्ट की गुणवत्ता को समय के साथ और बेहतर करते चले गये। धीरे-धीरे ग्राहकों को उत्पाद की श्रेष्ठता का एहसास हुआ और इनकी धुआंधार बिक्री शुरू हो गई। इनके उपयोगकर्ता ही इनके ब्रांड को बढ़ावा देने शुरू कर दिए। साल 2010 तक हर साल 2.25 लाख यूनिट की बिक्री के साथ कंपनी का कारोबार 250 करोड़ रुपये का हो गया।

गुप्ता ने वाटर प्‍यूरीफायर में रिटेल बिजनेस मॉडल की शुरुआत करते हुए साल 2006 से केंट की ब्रांडिंग नए शिरे से शुरू की थी। उन्होंने डिस्‍ट्रीब्‍यूटर बनाए और कस्‍टमर को बेहतर ऑफ्टर सेल सर्विस का भरोसा दिया। देश में वाटर प्‍यूरीफायर में अर्गनाइज्‍ड इंडस्‍ट्री करीब 65 फीसदी है और इसका साइज करीब 3000 करोड़ रुपए है।इसमें से केंट का मार्केट शेयर 35 फीसदी है।

आज केंट आरओ सिस्‍टम्‍स लिमिटेड जीरो डेट कंपनी है। कंपनी अपने सोर्स से ही अपनी एक्‍सपेंशन जरूरतें पूरी करने में सक्षम है। नोइडा स्थित अपने उत्पादन प्लांट से कंपनी बांग्लादेश, नेपाल, केन्या समेत सार्क देशों में अपने प्रोडक्ट का निर्यात करता है।

केंट आज देश की एक अग्रणी कंपनी का रूप लेते हुए कई करोड़ों का कारोबार कर रही। गुप्ता ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी निजी जरुरत को पूरा करने हेतु उनका एक छोटा प्रयास एक दिन करोड़ों लोगों की जिंदगी का हिस्सा बनेगा।

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